डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। अमेरिकी सरकार की कमान नए राष्ट्रपति के हाथ में आने का असर ग्लोबल ट्रेड, मॉनेटरी पॉलिसी और इनवेस्टमेंट पर दिख सकता है। इस बीच, 10 साल के बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 4.45 फीसदी हो गई है। इससे पहले इस साल जून में यील्ड इस लेवल पर था। इससे पता चलता है कि अमेरिका सरकार का खर्च बढ़ सकता है। 2016 में जब पहली बार ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तब अमेरिका में कंपनियों पर टैक्स का बोझ घटा था। यह 35 फीसदी से घटकर 21 फीसदी पर आ गया था। ट्रंप ने जिस एक्ट के जरिए टैक्स में यह कमी की थी, वह 2025 में एक्सपायर हो रहा है।
कंपनियों पर टैक्स घटाकर 15 फीसदी करने का प्लान
अब ट्रंप ने एक नया ऐलान किया है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा कि वह टैक्स को 21 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर देंगे। लेकिन, उसके लिए उन्होंने एक शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि इस टैक्स का फायदा तभी मिलेगा, जब कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करेंगी। अगर ट्ंप इसे लागू करते हैं तो अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी। आरएंडी, विलय और अधिग्रहण और बायबैक पर होने वाला कंपनियों का खर्च बढ़ जाएगा। लेकिन इससे सरकार का फिस्कल डिफिसिट भी बढ़ सकता है।
टैरिफ बढ़ाने से होगी रेवेन्यू लॉस की भरपाई
रिपब्लिकन पार्टी का मानना है कि रेवेन्यू में आई इस गिरावट की भरपाई के लिए आयातित उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगाना होगा। चीन से आयात होने वाले प्रोडक्ट्स पर 60 फीसदी टैक्स लगाना होगा। एक अनुमान के मुताबिक, टैरिफ बढ़ाने से पहले साल सरकार को 300 अबर डॉलर की इनकम हो सकती है। अभी अमेरिका में आयात होने वाले 30 फीसदी प्रोडक्ट्स पर ही टैक्स लगता है। इससे सरकार को 100 अरब डॉलर की इनकम होती है।
अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाने पर फोकस
अमेरिका को एक बार फिर से महान बनाने की ट्रंप की पॉलिसी से अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में भी कमाई के मौके बढ़ेंगे। अगर सेक्टर के लिहाज से बात की जाए तो ट्रंप के नियमों में ढील देने की पॉलिसी से विलय और अधिग्रहण से जुड़ी गतिविधियां बढ़ेंगी। ट्रंप 2.0 में एनर्जी का प्रोडक्शन बढ़ सकता है। इसके लिए ऑयल, नेचुरल गैस और कोयले जैसे पारंपरिक ऊर्जा के स्रोतों का उत्पादन बढ़ाना होगा। न्यूक्लियर एनर्जी पर फोकस बढ़ाना होगा। यह सब रिन्यूएबल एनर्जी की कीमत पर होगा। इसके लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़े नियम को भी खत्म करना होगा। इसमें कहा गया है कि 2032 तक अमेरिका में व्हीकल्स की कुल बिक्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी 56 फीसदी तक पहुंचनी चाहिए।
इंडिया पर पड़ सकता है खराब असर
ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति बनना स्टॉक मार्केट के लिए कम से कम शॉर्ट टर्म के लिहाज से पॉजिटिव है। अमेरिकी स्टॉक मार्केट के कम से कम एक महीने के शानदार प्रदर्शन खासकर Small Cap Russel 2000 इंडेक्स के प्रदर्शन से ऐसा लगता है। अमेरिकी कंपनियों की अर्निंग्स में अच्छी ग्रोथ और डॉलर की मजबूती इंडिया में विदेशी निवेश के लिहाज से पॉजिटिव नहीं होगी। विदेशी निवेशक पहले से ही अक्टूबर में इंडियन मार्केट में रिकॉर्ड बिकवाली कर चुके हैं।