स्टॉक मार्केट्स की नजरें अब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर लगी हैं। इससे पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार की जीत पर इंडियन स्टॉक मार्केट्स में काफी तेजी देखने को मिली थी। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों नतीजे के महीने में चढ़े थे। 2020 में जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद के चार सालों में मार्केट ने बहुत अच्छा रिटर्न दिया था। निफ्टी 128 चढ़ा था, जबकि सेंसेक्स 117 फीसदी चढ़कर ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया था। फिर कोविड बाद मार्केट में जबर्दस्त रिकवरी आई। इसमें ग्लोबल लिक्विडिटी और इंडियन इकोनॉमी की की अच्छी ग्रोथ का भी हाथ रहा।
डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के 2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद के चार सालों में मार्केट का रिटर्न सामान्य रहा था। Nifty 57 फीसदी चढ़ा था, जबकि Sensex में 65 फीसदी तेजी आई थी। ट्रंप की पॉलिसी बिजनेस को बढ़ावा देने वाली रही है। वह टैक्स घटाने के पक्ष में रहे हैं। बराक ओबामा दूसरी बार 2012 में अमेरिका का राष्ट्रपति बने थे। उसके बाद के चार सालों में निफ्टी और सेंसेक्स में करीब 65 फीसदी तेजी आई थी।
अब नजरें 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों पर लगी हैं। एनालिस्ट्स की राय नतीजों को लेकर एक तरह की नहीं है। नोमुरा ने कहा है कि ट्रंप अगर राष्ट्रपति बनते हैं तो यह जापान को छोड़ बाकी एशिया के लिए निगेटिव हो सकता है। कमला हैरिस के राष्ट्रपति बनने पर इंडियन मार्केट्स पर पॉजिटिव असर पड़ सकता है। इस उम्मीद की वजह हैरिस की प्रो-एशिया पॉलिसी है। एमके ने कहा है कि ट्रंप के चुनाव जीतने पर शुरुआत में मार्केट में तेजी दिख सकती है। लेकिन, यह तेजी तभी जारी रहेगी जब अर्निंग्स ग्रोथ और वैल्यूएशन के मामले में इम्प्रूवमेंट दिखेगा।
ग्लैंड फार्मा के शेयर 5 नवंबर को 13 फीसदी चढ़कर 1,822 रुपये पर बंद हुए। इसकी वजह कंपनी को लोकर ब्रोकरेज फर्मों की रिपोर्ट है। दूसरी तिमाही के नतीजे कमजोर रहने के बावजूद ब्रोकरेज फर्मों ने Gland Pharma के स्टॉक के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई है। बुल्स का कहना है कि 2024 में इस स्टॉक का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। इससे इसमें और गिरावट की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। KIE ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट में बताया है। लंबे इंतजार के बाद कंपनी ने बायोलॉजिक्स सीडीएमओ में अच्छा प्रोग्रेस दिखाया है। कंपनी का प्रदर्शन दूसरी तिमाही में कमजोर रहने की उम्मीद जताई गई थी। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि कंपनी के अमेरिकी बिजनेस में ग्रोथ के बावजूद मार्जिन में कमी आ सकती है।
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एबीबी इंडिया के शेयरों में 5 नवंबर को 3 फीसदी गिरावट आई थी। स्टॉक्स 7,133 रुपये पर बंद हुए थे। ABB के शेयरों में गिरावट की वजह कंपनी के दूसरी तिमाही के कमजोर नतीजे हैं। नतीजे उम्मीद से कमजोर हैं। हालांकि, बुल्स का कहना है ग्रीन एनर्जी और वैल्यू-एडेड एक्सपोर्ट्स जैसे नए सेक्टर कंपनी की ग्रोथ में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। रेवेन्यू मिक्स, ज्यादा मार्जिन वाले ऑर्डर्स और प्राइस रिवीजन से कंपनी का मुनाफा बढ़ सकता है। इलेक्ट्रिफिकेशन सेगमेंट को डेटा सेंटर सेगमेंट से बड़े ऑर्डर्स मिले हैं। बेयर्स का कहना है कि एग्जिक्यूशन की रफ्तार सुस्त है। यह 14 तिमाहियों में सबसे कम रही है।