म्यूचुअल फंड हाउसों को अब किसी स्कीम के डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के खर्चों के बारे में अलग से खुलासा करना होगा। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इस सिलसिले में 5 नवंबर को सर्कुलर जारी किया है, जिसमें म्यूचुअल फंड स्कीमों द्वारा अपनी स्कीम के साथ इससे जुड़े जोखिम और खर्च घोषित करने के लिए स्टैंडर्ड फॉर्मैट पेश किया गया है।
डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के बारे में अलग से खुलासा करने की जरूरत के बारे में सर्कुलर में कहा गया है, ‘डायरेक्ट प्लान के इनवेस्टर्स से खर्च और कमीशन चार्ज नहीं किया जा सकता, लिहाजा किसी भी स्कीम के डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशियो उसी स्कीम के रेगुलर प्लान से कम है, लिहाजा डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के रिटर्न भी अलग-अलग होते हैं।’
लिहाजा, खर्चों के खुलासे में अब स्कीम के कुल रेकरिंग खर्चों के डिस्क्लोजर के अलावा डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के कुल रेकरिंग खर्चों के लिए भी अलग डिस्क्लोजर होना चाहिए। साथ ही, नए कलर कोड वाले रिस्क-ओ-मीटर के साथ म्यूचुअल फंड स्कीम से जुड़े जोखिम पर नजर रखना अब और आसान हो जाएगा, जो लो रिस्क से लेकर काफी हाई रिस्क तक कुछ 6 लेवल के बारे में बताएगा।
सर्कुलर में कहा गया है, ‘MFAC (म्यूचुअल फंड एडवाजरी कमेटी) की सिफारिश के आधार पर यह तय किया गया है कि जोखिम के मौजूदा लेवल के अलावा कलर स्कीम का इस्तेमाल कर रिस्क-ओ-मीटर को भी दिखाया जाएगा।’