सभी की निगाहें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर हैं। अधिकतर एग्जिट पोल में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर बताई जा रही है। इस अनिश्चितता के कारण पूरी दुनिया के शेयर बाजार में अस्थिरता का माहौल है। इस अस्थिरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आज 5 नवंबर को कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय 1,500 अंक तक लुढ़क गया था। चुनाव नतीजे आने में अभी एक दिन बाकी है। हालांकि ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल (Emkay Global) का मानना है कि अगर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतते हैं, तो भारतीय शेयर बाजार में कुछ दिनों के लिए एक छोटी रैली देखने को मिल सकता है।
ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि ट्रंप की जीत से चीन पर टैरिफ बढ़ सकता है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से भारत के प्रति सेटीमेंट मजबूत। साथ ही, इससे चीन की ओर जा रहे विदेशी निवेश में भी कमी आ सकती है।
यह इसलिए भी अहम हो जाता है कि क्टूबर के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 11.2 अरब डॉलर की रकम निकाली है। FIIs की निकासी के पीछे एक मुख्य वजह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता भी बताई जा रही थी।
इस बीच, एमके ग्लोबल का मानना है कि अगर रिपब्लिकन पार्टी की जीत होती है तो “चीन के शेयरों को नुकसान होगा”। वहीं इसके उटल भारत के लिए यह “रणनीतिक रूप से पॉजिटिव” होगा और बाजार में FPI का निवेश भी बढ़ सकता है।
ब्रोकरेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हमारी इक्विटी रणनीति टीम का मानना है कि ट्रंप की जीत से शायद शॉर्ट-टर्म रैली आ सकती है। हालांकि इस रैली का टिकाऊ बनाना अर्निंग ग्रोथ और वैल्यूएशन पर निर्भर करता है, जो फिलहाल दोनों ही कमजोर हैं। वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस जीतती है, तो यह बाजार में बिकवाली की नई लहर को ट्रिगर कर सकता है और यहां से करीब 5% या उसके अधिक करेक्शन के बाद खरीदारी की स्थिति बन सकती है। मिडियम टर्म में दोनों ही पार्टी का जीत का भारत पर समान असर रहेगा और ऐसे में भारतीय बाजार में कोई लंबा असर देखने को नहीं मिलेगा।”
“हमारा मानना है कि जैसे-जैसे दुनिया ऊंची ग्रोथ और महंगाई परिवर्तनशीलता के आसन्न दौर से गुजर रही है, और संभवतः पारंपरिक निवेश रणनीति को फिर से परिभाषित कर रही है, भारत की निवेश रणनीति इससे अलग नहीं हो सकती है, भले ही वह उभरते बाजारों के समकक्षों की तुलना में कुछ संरचनात्मक विकास लीवर का आनंद ले रहा हो,” इसने यह भी कहा कि “वैश्विक स्तर पर और घरेलू स्तर पर भी उस तेजी को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा”।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती टैरिफ दर होगी। हालांकि ट्रंप का मुख्य लक्ष्य चीन के एक्सपोर्ट्स को रोकना है, लेकिन इसका असर भारत भी देखने को मिल सकता है। एमके ग्लोबल का मानना है कि टैरिफ दरें और फॉरेन करेंसी मार्केट पर सबसे पहले असर देखने को मिल सकता है।
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