नई दिल्ली: विजय केडिया जाने-माने निवेशक हैं। उन्हें अपनी दीर्घकालिक निवेश रणनीति और मल्टी-बैगर स्टॉक चुनने की क्षमता के लिए जाना जाता है। विजय केडिया अब चीन के शेयरों में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने यह जानकारी एक इंटरव्यू में दी। उन्होंने अपने निवेश का 2-3% हिस्सा चीनी शेयरों में लगाया है। वह इसे बढ़ाकर 5% तक करने को तैयार हैं।
विजय केडिया ने कहा, ‘मुझे चीन के शेयरों पर भरोसा है। चीन एक नई कहानी लिख रहा है। मुझे लगता है कि आने वाले समय में चीनी शेयर अच्छा प्रदर्शन करेंगे।’ केडिया का मानना है कि चीनी शेयरों का वैल्यूएशन कम है। उन्होंने कहा, ‘पिछले 15 सालों से उन्होंने कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया है।’
विजय केडिया बोले, ‘मैंने पहले ही अपने पोर्टफोलियो का 2-3 फीसदी चीनी शेयरों में लगाया है। मैं 5 फीसदी पूंजी निवेश करने के लिए भी तैयार हूं।’ चीन के शेयरों में निवेश करने के लिए उन्होंने अपने कुछ पोर्टफोलियो शेयरों, जैसे पटेल इंजीनियरिंग को बेच दिया। उन्होंने कहा, ‘मैंने पटेल इंजीनियरिंग और कुछ अन्य शेयर बेचे हैं।’
ETF के जरिये किया निवेश
केडिया ने अलग-अलग चीनी शेयरों में निवेश नहीं किया है। उन्होंने चीन-आधारित म्यूचुअल फंड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिये चीनी शेयरों का एक बास्केट खरीदा है।
ETF ऐसे निवेश फंड हैं जिनका स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार होता है। ये व्यक्तिगत स्टॉक की तरह होते हैं। इनमें कई तरह की संपत्तियां होती हैं – जैसे स्टॉक, बॉन्ड या कमोडिटीज। ये निवेशकों को एक ही लेनदेन में विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति देते हैं। यह ETF को उन लोगों के लिए लोकप्रिय विकल्प बनाता है जो अलग-अलग एसेट खरीदे बिना विशिष्ट क्षेत्रों या बाजारों में निवेश करना चाहते हैं।
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से भारत और जापान एशिया के प्रमुख इक्विटी बाजारों में सबसे आगे रहे हैं। महामारी की चपेट में आने से पहले ही भारतीय शेयर तेजी से आर्थिक विकास और मजबूत कॉर्पोरेट आय के चलते रफ्तार से बढ़ रहे थे। महामारी के कारण आई गिरावट के बाद से निफ्टी 50 तिगुना हो गया है, जो 200% से अधिक बढ़ रहा है।
भारतीय बाजारों की चमक पड़ी है फीकी
हालांकि, हाल के महीनों में भारतीय और जापानी दोनों बाजारों ने अपनी कुछ चमक खोनी शुरू कर दी है। यह बदलाव कई फैक्टर्स से प्रभावित है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है बीजिंग की ओर से सितंबर के अंत में एक व्यापक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा। इस कदम ने एक मजबूत मैसेज भेजा कि सरकार आर्थिक मंदी की गहराई को लेकर चिंतित है। साथ ही विकास को बढ़ावा देने के लिए ऐक्शन लेने को तैयार है।
आंकड़े इस बदलाव को दर्शाते हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, अकेले सितंबर में विदेशी निवेशकों ने चीनी प्रतिभूतियों में 20 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश किया, जो 2021 के बाद से सबसे बड़ा मासिक प्रवाह है।
शंघाई और शेन्जेन-सूचीबद्ध शेयरों को ट्रैक करने वाला CSI 300 इंडेक्स बुल मार्केट में प्रवेश कर गया है, जो 13 सितंबर से 23% बढ़ा है। एचएसबीसी के आंकड़ों के अनुसार, उभरते बाजार फंडों का दस महीनों में पहली बार चीनी शेयरों में अधिक वजन है और एशियाई फंडों की होल्डिंग पांच साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।
चीन में यह नए सिरे से दिलचस्पी भारत और जापान की कमजोरियों से और भी बढ़ गई है। जबकि भारत में जुलाई-सितंबर तिमाही में कॉर्पोरेट आय बाजार की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। वहीं, शेयर वैल्यूएशन वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे महंगा बना हुआ है, जिससे सिर्फ अमेरिका आगे है।
(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, stock market news के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)