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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का इंडियन स्टॉक मार्केट पर पड़ेगा क्या असर?

अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होगी। नए राष्ट्रपति का कार्यकाल अगले 4 साल के लिए होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का असर इंडियन स्टॉक मार्केट्स पर पड़ेगा। खासकर ऐसे वक्त जब दूसरी तिमाही में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर रही है। इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर दिख रही है। रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस से कड़ी टक्कर मिल रही है।

चुनावी नतीजों को लेकर तस्वीर साफ नहीं

रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) की पॉलिसी बिजनेस को बढ़ावा देने वाली रही है। डेमोक्रेटिक पार्टी का झुकाव संपत्ति के डिस्ट्रिब्यूशन पर रहा है। चुनावों के नतीजों से अनिश्चितता बढ़ती दिख रही है। इसका संकेत अमेरिकी में बॉन्ड यील्ड में उछाल से मिलता है। अमेरिका में इंटरेस्ट रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स में कमी के बावजूद बॉन्ड यील्ड पिछले महीने 4.1 फीसदी पर पहुंच गई। अमेरिकी डॉलर में मजबूती आई है। इसकी वजह यह है कि अनिश्चितता को देखते हुए निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले एसेट में निवेश कर रहे हैं।

 

इंडियन मार्केट्स में भी उतारचढ़ाव बढ़ने के संकेत

इधर, इंडिया में Nifty VIX अक्टूबर में 15.6 पर पहुंच गया। इससे पहले यह 12 से नीचे चला गया था। सोने में भी तेजी दिखी है। जब कभी दुनिया में स्थितयां अनिश्चित होती है, सोने की डिमांड बढ़ जाती है। अमेरिका में लीडरशिप बदलने का असर स्टॉक मार्केट्स पर पड़ेगा। मार्केट में उतारचढ़ाव दिख सकता है। इसकी वजह यह है कि पॉलिसी को लेकर तस्वीर साफ नहीं होती है। अगर इतिहास को देखें तो डेमोक्रेटिक लीडरशिप के दौरान स्टॉक मार्केट का रिटर्न बढ़ जाता है। लेकिन, यह अमेरिका के लिए है। अमेरिकी मार्केट में रिटर्न बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि इंडियन मार्केट में भी रिटर्न बढ़ जाएगा।

मुश्किल वक्त भी इंडियन मार्केट का अच्छा प्रदर्शन

निवेशकों को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अमेरिका में पिछले 8 सालों में चाहे जिस पार्टी की सरकार रही हो, इंडियन स्टॉक मार्कट्स ने इस दौरान निवेशकों के पैसे दोगुना कर दिए हैं। पिछले कुछ सालों में काफी उथलपुथल देखने को मिला है। पहले कोविड की महामारी, फिर रूस और यूक्रेन की लड़ाई और अब मिडिलईस्ट का टेंशन हमारे सामने हैं। इस बीच दुनिया के कई देशों में केंद्रीय बैंकों ने इनफ्लेशन को बढ़ने से रोकने के लिए मॉनेटरी पॉलिसी सख्त बनाई। इन सबके बीच इंडिया दुनिया में उम्मीद की किरण बनकर उभरा। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ मुश्किल वक्त में भी सबसे ज्यादा रही।

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गिरावट पर खरीदारी करने की सलाह

इसके बावजूद यह कहना ठीक नहीं होगा कि अमेरिका में चुनावों के नतीजों का असर इंडियन इकोनॉमी पर नहीं पड़ेगा। लंबी अवधि में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ की संभावना अच्छी दिख रही है। लेकिन, शॉर्ट टर्म में इसमें उतारचढ़ाव दिख सकता है। मार्केट में गिरावट निवेश करने का सबसे अच्छा समय होता है। निवेशक गिरावट के दौरान अच्छी क्वालिटी के शेयरों में निवेश बढ़ा सकते हैं।

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