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Nifty ने 25 फीसदी बढ़त के साथ की संवत 2080 की समाप्ति

निफ्टी-50 इंडेक्स ने सुदृढ़ता का प्रदर्शन करते हुए संवत 2080 की समाप्ति करीब 25 फीसदी की बढ़त के साथ की है जबकि यह अपने सर्वोच्च स्तर से 8 फीसदी नीचे आया है। सूचकांक का यह प्रदर्शन कोविड के बाद संवत 2077 में हुई बढ़त के बाद के सबसे अच्छे प्रदर्शन में से एक है। तब उसमें 38 फीसदी का इजाफा हुआ था।

यह बढ़त निवेशकों के आत्मविश्वास और उतारचढ़ाव से उबरने की बाजारों की क्षमता को दिखाती है। साथ ही मौजूदा आर्थिक माहौल में ब्लूचिप शेयरों की ताकत का प्रदर्शन भी करती है। निफ्टी-50 में इस साल की तेजी से पहले के दो संवत में रिटर्न नरम था और संवत 2079 और 2078 में इनका रिटर्न क्रमश: 10.5 फीसदी और 9.4 फीसदी रहा था।

संवत 2080 में मजबूत प्रदर्शन व्यापक रहा है और निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों में 37-37 फीसदी से ज्यादा की तेजी रही है। निफ्टी ने गुरुवार के कारोबारी की समाप्ति 136 अंकों की गिरावट के साथ 24,205 पर की। बीएसई सेंसेक्स 553 अंक टूटकर 79,379.06 पर बंद हुआ।

भारत के शेयर बाजारों ने हालांकि ठोस प्रदर्शन दिखाया है लेकिन वैश्विक समकक्षों के मुकाबले उसकी रैकिंग मध्य में रही है। अमेरिकी बाजारों (एसऐंडपी 500 और नैसडेक), जर्मनी का डैक्स और ताइवान का बाजार इसमें आगे रहा है। हालांकि कई उभरते बाजारों और ​एशियाई समकक्ष बाजारों मसलन चीन, जापान, ब्राजील, थाइलैंड और इंडोनेशिया के मुकाबले भारत का प्रदर्शन उम्दा रहा है, जो इस क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से उसकी ताकत को बताता है।

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा कि कोविड के बाद तीन साल मजबूत आर्थिक वृ​द्धि के रहे हैं जिसकी झलक कंपनियों की आय में मजबूत वृद्धि और शेयर बाजार के मजबूत रिटर्न में दिखाई दी। कोविड बाद के प्रोत्साहन पैकेजों के कारण चीन को छोड़कर ज्यादातर बाजारों में तेजी रही। देसी नकदी में मजबूती और विदेशी निवेश में इजाफे के कारण इस साल बढ़त देखने को मिली, हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने हाल में 10 अरब डॉलर की निकासी की है। चीन के बाजारों में लगातार कमजोरी ने कई विदेशी फंडों को भारत का रुख करने के लिए प्रोत्साहित किया जो उभरते बाजारों में एकमात्र दूसरा अहम बाजार है।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा कि देसी निवेशकों ने महामारी के बाद इस नए परिसंपत्ति वर्ग पर दांव लगाया। ऑफिस जाने वाले औसत लोग सीधे या म्युचुअल फंडों के जरिये बाजार में आ गए हैं। ऐसे ढांचागत बदलाव से बाजारों को मजबूती ​मिली और वे बड़ी निकासी को सहन करने में सफल रहे।

संवत 2080 को अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर अनिश्चितता, भूराजनीतिक तनाव और येन कैरी ट्रेड रिवर्सल जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ा और इनका असर उस पर आया। हाल में चीन की सरकार की तरफ से वहां की अर्थव्यवस्था और इक्विटी बाजारों में जान फूंकने की कोशिशों ने भारतीय शेयरों का आकर्षण थोड़ा धूमिल किया है।

इसके अलावा भारत में आय वृद्धि में नरमी भी बड़ी बाधा बनती दिखी है। इससे एफपीआई भारत में मुनाफावसूली करने और इस रकम को चीन के सस्ते शेयर बाजारों में लगाने को प्रोत्साहित हुए। हालांकि मजबूत घरेलू समर्थन से भारतीय बाजारों को बिकवाली के दबाव में भी टिके रहने में मदद मिली है।

मुखर्जी ने कहा कि आर्थिक चक्र नरम पड़ा है और हम आय में नरम वृद्धि वाली कुछ तिमाहियां देख सकते हैं। संवत 2080 की शुरुआती अवधि में कंपनियों की मजबूत आय वृद्धि और राजनीतिक स्थिरता ने भी भारतीय इक्विटी के आकर्षण में इजाफा किया।

पिछले नवंबर में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने चार राज्यों के चुनाव में से तीन में विजय हासिल की जिससे केंद्र में एक पार्टी की बहुमत सरकार बनने की राह प्रशस्त की। मई में आम चुनाव के दौरान भाजपा को पूर्ण वहुमत नहीं मिला लेकिन गठबंधन सरकार उसी ने बनाई। चुनाव नतीजों को लेकर शुरुआती झटके के बाद बाजार पटरी पर लौटे और बढ़त का सिलसिला कायम रखा।

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