इस दिवाली सीजन में साइक्लिकल स्टॉक और सेक्टरों की परफॉर्मेंस में काफी बदलाव देखने को मिला है। पिछले तीन साल में इन शेयरों और सेक्टरों ने बेहतर रिटर्न दिया है। हालांकि, 2024 में इन स्टॉक्स और सेक्टरों की परफॉर्मेंस कमजोर रही है, जबकि आम तौर पर दिवाली के समय इनका प्रदर्शन अच्छा रहता है। अगर 2020 के कोविड के दौर को छोड़ दिया जाए, तो पिछले दो-तीन साल में साइक्लिकल स्टॉक और सेक्टरों की परफॉर्मेंस फेस्टिव सीजन में काफी बेहतर रही है। ऑटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन आदि सेक्टर इस दायरे में शामिल हैं।
2024: चुनौतियों का साल
इस बार यानी 2024 का माहौल बिल्कुल अलग है। फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FIIs) अक्टूबर में नेट सेलर्स रहे हैं और उन्होंने इस दौरान 11 अरब डॉलर के शेयरों की बिक्री की। हालांकि, डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने जमकर खरीदारी की है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि FIIs की बिकवाली की कई वजहें हैं, मसलन सितंबर तिमाही के सुस्त नतीजे, बाजार की हाई वैल्यूएशन, बाकी बाजारों में बेहत अवसर और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव।
हालांकि, इसके अलावा कई अन्य वजहें भी हैं, जिनका इस दिवाली सीजन के दौरान साइक्लिकल स्टॉक्स की अंडरपरफॉर्मेंस में योगदान रहा है।
आर्थिक अनिश्चितता: ग्लोबल आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता का आलम है और भूराजनीतिक तनाव को लेकर चिंताओं के कारण निवेशकों का उत्साह ठंडा पड़ा है। इन मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स का असर साइक्लिकल स्टॉक्स पर पड़ा है, जो आर्थिक उतार-चढ़ाव के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील हैं।
सप्लाई चेन में बाधा: सप्लाई चेन से जुड़ी मौजूदा समस्याएं ग्लोबल ट्रेड पर निर्भर इंडस्ट्रीज पर लगातार चोट कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर सेमीकंडक्टर कमी और लॉजिस्टिक्स बाधाओं की वजह से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन बाधाओं की वजह से प्रोडक्शन और सेल्स पर असर पड़ा है और स्टॉक्स की परफॉर्मेंस कमजोर हुई है।
चीन का फैक्टर: FIIs की तरफ से बिकवाली की मुख्य वजह भारत में हाई वैल्यूएशन और चीन के बाजार में अपेक्षाकृत सस्ती और आकर्षक वैल्यूएशन है। दरअसल, फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स भारत से पैसा निकालकर अपना निवेश चीन के शेयर बाजार में लगा रहे हैं। चीन में राहत पैकेज के ऐलान की वजह से वहां ग्रोथ की संभावना नजर आ रही है। भारत के शेयर बाजार पर इसके असर को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। दरअसल, इस नए ट्रेंड की वजह से तकरीबन उन सभी सेक्टरों पर बुरा असर हुआ है, जो साइक्लिकल कैटेगरी में आते हैं।
आगे की राह
परफॉर्मेंस को लेकर मौजूदा चुनौतियों के बावजूद इन स्टॉक्स का आउटलुक मोटे तौर पर पॉजिटिव नजर आता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मैक्रोइकोनॉमिक संकट नरम पड़ने और सप्लाई चेन का मसला सुलझने के बाद साइक्लिकल स्टॉक फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। इसके अलावा, कंज्यूमर सेंटीमेंट में किसी भी तरह का पॉजिटिव बदलाव रिकवरी के लिए बेहतर टूल हो सकता है।