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Nifty 50 का बीते 5 सालों में अक्टूबर में सबसे खराब प्रदर्शन, इंडेक्स 6 फीसदी फिसला

निफ्टी 50 के लिए यह महीना बीते 5 सालों में सबसे खराब रहा है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली और कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ में सुस्ती का असर इस इंडेक्स पर पड़ा है। निफ्टी 50 में शामिल कई कंपनियों का प्रदर्शन दूसरी तिमाही में कमजोर रहा है। इससे निफ्टी 50 अपने ऑल-टाइम हाई से काफी नीचे आ गया है। 27 सितंबर को यह इंडेक्स 26,277 प्वाइंट्स के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया था। तब से यह 2000 प्वाइंट्स से ज्यादा गिर चुका है।

FIIs ने अक्टूबर में करीब रोजाना कैश मार्केट में बिकवाली की है। उनकी कुल बिकवाली अक्टूबर में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रही है। यह कोविड की शुरुआत यानी मार्च 2020 में उनकी बिकवाली से ज्यादा है। अक्टूबर में निफ्टी 6 फीसदी लुढ़का है। इससे पहले निफ्टी में इतनी ज्यादा गिरावट मार्च 2020 में आई थी। तब यह 23 फीसदी लुढ़का था। इस साल मई के बाद यह पहला महीना है जब निफ्टी का रिटर्न निगेटिव है।

अभी निफ्टी 50 के सिर्फ चार स्टॉक्स में हरे निशान में ट्रेडिंग हो रही है। इनमें SBI और ICICI Bank सबसे आगे हैं। पिछले कुछ ट्रेडिंग सेशंस में इन दोनों स्टॉक्स में तेजी देखने को मिली है। आईसीआईसीआई बैंक में तेजी की वजह इसके दूसरी तमाही के नतीजे रहे हैं। सितंबर तिमाही में इस बैंक का प्रदर्शन अच्छा रहा है। 50 एनालिस्ट्स में से 45 ने ICICI Bank के शेयरों में खरीदारी की सलाह दी है। एसबीआई के स्टॉक्स में सेंटीमेंट पॉजिटिव रहा है।

 

अक्टूबर में निफ्टी के 19 स्टॉक्स में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इससे यह इंडेक्स अपने रिकॉर्ड हाई से 6 फीसदी नीचे आ चुका है। इनमें से ज्यादातर स्टॉक्स में गिरावट की वजह दूसरी तिमाही में कंपनियों का खराब प्रदर्शन रहा है। इस लिस्ट में IndusInd Bank, Bajaj Auto, Tata Consumer, Nestle और BPCL शामिल हैं। इस महीने की शुरुआत में CLSA के लॉरेंस बालेनको ने कहा था कि निफ्टी में अभी और 1000 प्वाइंट्स की गिरावट आ सकती है।

सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निफ्टी पर शॉर्ट टर्म में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर पड़ सकता है। हालिया गिरावट के बाद कंपनियों की वैल्यूएशन अपने पीक से नीचे आई है। लेकिन, यह अब भी लॉन्ग टर्म एवरेज के मुकाबले ज्यादा है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ में अच्छी तेजी नहीं आती है, विदेशी निवेशकों के इंडियन मार्केट में निवेश करने की उम्मीद नहीं है। इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में निफ्टी पर दबाव बना रह सकता है।

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