निफ्टी 50 इंडेक्स में संवत 2080 में 24 फीसदी की ग्रोथ हुई। कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि इतने ऊंचे रिटर्न की उम्मीदों को बनाए रखना संवत 2081 में निराशा का कारण बन सकता है। उनके मुताबिक भारत में FPI की बिकवाली (अक्टूबर में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक,जो एक महीने में अब तक की सबसे ज्यादा है) शॉर्ट टर्म के नजरिए महंगे वैल्यूएशन की वजह से आई है।
कैपिटल मार्केट और फंड मैनेजमेंट में 28 साल से अधिक का अनुभव रखने वाले नीलेश शाह ने आगे कहा कि जब हम हाई अर्निंग ग्रोथ और बेहतर गवर्नेंस का प्रदर्शन करेंगे तब एफपीआई भारत में निवेश करेंगे। सुबह का भुला शाम को घर लौट आएगा।
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में उम्मीद से कमजोर नतीजों के बाद, उनका मानना है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार होना चाहिए। शाह ने आगे कहा कि अगर हम वित्त वर्ष 2025 में मौद्रिक नीति में ढील देकर ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं तो अर्निंग्स अपने गैप को भर सकती है।”
क्या आपको उम्मीद है कि संवत 2081 में भी बाजार 20 फीसदी की बढ़त के साथ बंद होगा?
शॉर्ट टर्म में बाजार के लिए कोई अनुमान लगाना बहुत मुश्किल काम है। बाज़ार में अपने तीन दशकों के अनुभव के आधार पर नीलेश शाह का कहना है कि यह भविष्यवाणी करना मुमकिन नहीं है कि एक साल बाद सेंसेक्स कहां होगा। इस चेतावनी के साथ नीलेश को लगता है कि नए साल में संवत 2080 जैसे ऊंचे रिटर्न की उम्मीद न करें। ऐसा करने पर निराशा ही हाथ लगेगी।
संवत 2081 में बाजार के लिए कौन से बड़े जोखिम हैं?
इस पर नीलेश शाह ने कहा कि एनर्जी और कमोडिटी की कीमतें,साथ ही साथ उनकी आपूर्ति भी भू-राजनीतिक घटनाओं से बाधित हो रही है। ये बाजार के लिए पहली बड़ी परेशानी है। इसके साथ Q2FY25 के तिमाही नतीजों में कमजोरी,अगस्त और सितंबर 2024 में कुछ सेक्टरों में मंदी,निजी क्षेत्र के निवेश में कमी और खपत में नरमी वित्त वर्ष 2025 में अर्निंग ग्रोथ पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। अमेरिका और चीन में ऋण की स्थिति में लगातार गिरावट वैश्विक ब्याज दरों को ऊंचा रख सकती है और दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं की नींव कमजोर हो सकती है। भारत में सुधारों पर राजनीतिक और सामाजिक सहमति का अभाव दिख रहा है जो विकास को गति देने के लिए आवश्यक है। इस सब के बावजूद इस बात को ध्यान में रखें कि बाजारों के पास हमेशा चिंता करने के कोई न कोई कारण होते ही हैं। निवेशक इन चिंताओं की दीवार पर सवार होकर ही पैसा बनाते हैं।
संवत 2081 में किन सेक्टरों में पैसा बनेगा?
नीलेश शाह ने कहा कि उन्होंने पहले ही पीएसयू, एसएमई, माइक्रोकैप और कैपिटल गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टरों में कम फ्लोटिंग स्टॉक काउंटरों में वैल्यूएशन संबंधी चिंताओं के बारे में चेतावनी दी थी। आखिरकार,अब इन स्टॉक्स में करेक्शन हुआ है। नीलेश शाह का कहना है कि अभी कुछ सेक्टरों में वैल्यूएशन महंगे हैं। शेयरों के चुनते समय हमें मोमेंटम के बजाय क्वालियी, महंगे वैल्यूएशन के बजाय सही वैल्युएशन और कम फ्लोटिंग स्टॉक कंपनियों के बजाय हाई फ्लोटिंग स्टॉक्स पर नज़र रखनी चाहिए। हमें अब प्राइवेट बैंक, आईटी, फार्मा, टेलीकॉम, कंज्यूमर स्टेपल और सीमेंट सेक्टर में आउटपरफॉर्मेंस देखने को मिल सकता है।
क्या आपको लगता है कि शॉर्ट टर्म में बाजार में 3-5 फीसदी गिरावट और आ सकती है?
कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता कि बाजार कितना नीचे जा सकता है। बिकवाली केवल उन शेयरों में हो रही है,जहां भाव बढ़ा हुआ था और लालच ने तर्क को पीछे छोड़ दिया था। बाकी बाजार में हेल्दी कंसोलीडेशन हो रहा है।
क्या बाजार आगामी अमेरिकी चुनावों को लेकर चिंतित है?
बाजार अमेरिकी चुनावों पर नज़र रखे हुए हैं। पिछले दो राष्ट्रपतियों, डोनाल्ड ट्रम्प और जो बिडेन के कार्यकाल में,अमेरिका का राजकोषीय घाटा दूसरे विश्व युद्ध के समय को छोड़कर किसी भी अन्य राष्ट्रपति के कार्यकाल तुलना में औसतन बहुत ज्यादा रहा है। दुर्भाग्य से, इस चुनाव अभियान में राजकोषीय कंसोलीडेशन पर कोई बहस नहीं हो रही है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यदि इसका घाटा और इसके परिणामस्वरूप ऋण नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो इसके पूरी दुनिया के लिए गंभीर परिणाम होंगे।
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