मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने 10 लाख रुपये से कम वाली कारों की बिक्री में गिरावट पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इनकम लेवल में स्थिरता, फ्यूल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और एंट्री लेवल मॉडलों की कीमतों में तेजी से ऑल्टो, एस-प्रेस्सो, वैगनआर आदि कॉम्पैक्ट कारों की वॉल्यूम में गिरावट देखने को मिली है।
भार्गव ने सितंबर 2024 तिमाही की अर्निंग कॉन्फ्रेस के दौरान कहा, ’10 लाख रुपये से कम वाली कारों का मार्केट नहीं बढ़ रहा है। दरअसल, इसमें गिरावट हो रही है और यह चिंता की बात है।’ वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (सितंबर 2024 तिमाही) में देश की सबसे बड़ी कार कंपनी के प्रॉफिट में 17 पर्सेंट की गिरावट रही। उन्होंने कहा, ‘ जब तक मार्केट में निचले स्तर पर ग्रोथ नहीं होगी, तो ऊपरी स्तर का मामला कारगर नहीं होगा।’
सियाम की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, डोमेस्टिक अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान घरेलू बाजार में मिनिकार की सेल्स 15.5 पर्सेंट की गिरावट के साथ 66,000 यूनिट हो गई, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह आंकड़ा 78,170 यूनिट था। इस सेगमेंट में रेनो क्विड भी शामिल है, जिसकी संबंधित अवधि के दौरान कुल पैसेंजर व्हीकल सेल्स में योगदान महज 3 पर्सेंट रहा। भार्गव का कहना था कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कुल पैसेंजर व्हीकल सेल्स की तकरीबन आधी हिस्सेदारी 10 लाख रुपये से कम वाले कारों की थी।
भार्गव ने कहा, ‘कुल मिलाकर इस सेगमेंट में बिक्री में कमी के चलते ऑटोमोबाइल मार्केट में समग्र ग्रोथ नहीं हो रही है। बाजार में इस स्तर में ग्रोथ को वापस लेने के लिए लोगों के पास अधिक खर्च योग्य आय की जरूरत है। हालांकि, कंपनी को उम्मीद है कि त्योहारों के दौरान कुल खुदरा बिक्री में 14 फीसदी की ग्रोथ होगी।’ यह पूछे जाने पर कि 10 लाख रुपये से कम दाम के वाहनों की बिक्री में गिरावट का कारण क्या है और लोग उस कैटेगरी में कार क्यों नहीं खरीद रहे हैं, उन्होंने कहा, इसका कारण ‘किफायत’ का मामला है। खर्च योग्य आय कम होने के कारण लोग खरीद नहीं पा रहे हैं।