बाजार में गिरावट का सिलसिला आज भी बना रहा और बेंचमार्क सूचकांक करीब 1 फीसदी की गिरावट पर बंद हुए। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की सतत बिकवाली से दोनों सूचकांकों में 14 महीने में सबसे लंबी साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई। इसके साथ ही ब्लूचिप फर्मों के नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं रहने और शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन की चिंता से भी गिरावट को बल मिला है।
सेंसेक्स 663 अंक या 0.8 फीसदी की गिरावट के साथ 79,402 पर बंद हुआ, जो 14 अगस्त के बाद इसका निचला स्तर है। निफ्टी भी 219 अंक या 0.9 फीसदी के नुकसान के साथ 24,181 पर बंद हुआ। इस हफ्ते निफ्टी में 2.7 फीसदी और सेंसेक्स में 2.2 फीसदी की गिरावट आई है। सूचकांक लगातार चौथे सप्ताह नुकसान में बंद हुए, जो अगस्त 2023 के बाद इनका सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन है।
सेंसेक्स अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर से 7.6 फीसदी और निफ्टी करीब 8 फीसदी नीचे आ गया है। बाजार में उठापटक को मापने वाला सूचकांक इंडिया वीआईएक्स 4.7 फीसदी बढ़कर 14.6 पर पहुंच गया।
निफ्टी मिडकैप में 1.9 फीसदी और स्मॉलकैप में 2.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 6.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 437 लाख करोड़ रुपये रहा। इस महीने अभी तक देश के बाजार पूंजीकरण में करीब 37.4 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।
कंपनियों की आय निराशाजनक रहने से विश्लेषक वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने अनुमान में कटौती के लिए बाध्य हुए हैं।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में स्पष्ट रूप से नरमी है और आय वृद्धि हर दिन निराशाजनक हो रही है, जिससे बाजार में गिरावट देखी जा रही है। 3 साल तक शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी नरमी दिख रही है।’
विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली से स्थिति और खराब हुई है। चीन की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए वहां की सरकार द्वारा भारी प्रोत्साहनों के ऐलान से उत्साहित विदेशी निवेशक भारत के बाजार से अपना निवेश निकालकर चीन में झोंक रहे हैं। इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अभी तक 85,790 करोड़ रुपये मूल्य की शेयरों की शुद्ध बिकवाली की है।
जियोजित फाइनैंशियल के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘दीर्घकालिक बाजार प्रवृत्ति में एक स्पष्ट बदलाव बाजार की हालिया चाल में दिख सकता है। विदेशी निवेशकों की अप्रत्याशित बिकवाली से गिरावट पर खरीदारी की रणनीति काम नहीं कर रही है। वित्त वर्ष 2025 में आय अनुमान में कटौती के लिए सभी एकमत हैं और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के कमजोर आंकड़ों से भी निवेशकों का हौसला थोड़ा नरम पड़ा है।’
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की अनिश्चितता से बाजार पर असर पड़ रहा है। अमेरिका में आगे तेज दर कटौती की आस नरम पड़ने से भी बाजार में अनिश्चितता बढ़ी है।