सिर्फ निफ्टी नहीं अब फार्मा कंपनियों के प्रदर्शन पर भी दबाव दिखा है। उनकी अर्निंग्स ग्रोथ सुस्त पड़ रही है। FY24 फार्मा कंपनियों के लिए अच्छा रहा था। तिमाही दर तिमाही बेहतर प्रदर्शन के बाद अब फार्मा कंपनियां भी ग्रोथ के लिए संघर्ष करती दिख रही हैं। लेकिन, इसमें एक पेच है। ज्यादा दबाव सिप्ला, डॉ रेड्डी, अरबिंदो फार्मा और ल्यूपिन जैसी बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन पर दिखा है। इन कंपनियों के बीच एक बात कॉमन है। इनकी अमेरिकी जेनरिक मार्केट पर काफी निर्भरता है। दूसरा, इन कंपनियों के किसी बड़ी दवा लॉन्च करने का प्लान नजर नहीं आ रहा।
ल्यूपिन को कम कॉम्पिटिशन वाली इसकी रेस्पायटरी ड्रग Spiriva से कुछ सपोर्ट मिल सकता है। लेकिन, बाकी कंपनियों के लिए चैलेंज बढ़ सकता है।
अगर मिडकैप फार्मा कंपनियों की बात की जाए तो इनमें से ज्यादातर घरेलू मार्केट पर निर्भर हैं। इनके लिए तस्वीर अच्छी दिख रही है। इन कंपनियों को अमेरिकी जेनरिक मार्केट से जुड़ी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। ऐसे में मार्केट की गिरावट के बीच मिड फॉर्मा कंपनियां आपके पोर्टफोलियो को सुरक्षा दे सकती हैं। हालांकि, आपको इनमें भी सोचसमझ कर स्टॉक्स का चुनाव करना होगा। आपको दो चीजों में नजर रखनी होंगी। पहला है वैल्यूएशन और दूसरा अर्निंग्स की संभावना है।
टीवीएस मोटर का शेयर 24 अक्टूबर को 3.2 फीसदी गिरकर 2,480 रुपये पर बंद हुआ। इसकी वजह इसके दूसरी तिमाही के नतीजे हैं। कंपनी का प्रदर्शन दूसरी तिमाही में मार्केट की उम्मीद से कमजोर रहा है। हालांकि, बुल्स का कहना है कि आने वाली तिमाहियों में TVS Motor के मार्जिन में इजाफा देखने को मिल सकता है। इसकी वजह PLI स्कीम के तहत मिलने वाली इनसेंटिव होगी। टू-व्हीलर्स की साइकिल अपट्रेंड में है। इसका फायदा कंपनी को मिलने की उम्मीद है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर कंपनी एग्रेसिव स्ट्रेटेजी अपनाती दिख रही है। इससे कंपनी की बाजार हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है। बेयर्स का कहना है कि इंडस्ट्री की ग्रोथ में सुस्ती चिंता की बात है। ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने टीवीएस के स्टॉक्स का प्रदर्शन इंडस्ट्री से बेहतर रहने की उम्मीद जताई है। लेकिन, उसने यह कहा है कि ज्यादा डिस्काउंट का असर एवरेज सेलिंग प्राइस (ASP) पर पड़ सकता है। इससे मार्जिन में कमी आ सकती है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर का शेयर 24 अक्टूबर को 6 फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ 2,504 रुपये पर क्लोज हुआ। इसकी वजह दूसरी तिमाही के कंपनी के नतीजे है। कंपनी के कंसॉलिडेटेड प्रॉफिट में गिरावट आई है। हालांकि, बुल्स का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में डिमांड में रिकवरी आ रही है। अगर कमोडिटी की कीमतें नीचे नहीं आती हैं तो Hindustan Uniliver इस फाइनेंशियल की दूसरी छमाही में प्रोडक्ट्स की कीमतें थोड़ी बढ़ा सकती है। कंपनी ने इनोवेशन पर अपना फोकस बनाए रखा है। इससे उसे अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
कंपनी के मैनेजमेंट ने कहा है कि आने वाली तिमाहियों में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। उधर, बेयर्स का कहना है कि शहरी इलाकों में डिमांड पर दबाव दिखा है। इससे शहरों इलाकों में वॉल्यूम ग्रोथ सुस्त रही है। पाम ऑयल और चाय जैसे रॉ मैटेरियल की कीमतें बढ़ी हैं, जिसका असर कंपनी के मार्जिन पर पड़ा है। एक्सिस सिक्योरिटीज ने कहा है कि रॉ मैटेरियल की कीमतों में तेजी और मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का असर हिंदुस्तान यूनिलीवर की ग्रोथ पर पड़ सकता है।