दुनियाभर में भारतीय गाड़ियों की मांग एक बार फिर बढ़ रही है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक भारत का ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 14% बढ़ा है।
अप्रैल से सितंबर के दौरान भारतीय कंपनियों ने 25,28,248 गाड़ियां विदेशी मार्केट में बेची हैं। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 22,11,457 था।
मारुति सुजुकी टॉप एक्सपोर्टर- 12% बढ़ा कंपनी का निर्यात
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने अप्रैल से सितंबर के बीच 1,47,063 गाड़ियों का एक्सपोर्ट कर टॉप पर है। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 1,31,546 था। सालाना आधार पर इसमें 12% की बढ़ोतरी हुई है।
टू-व्हीलर एक्सपोर्ट 16% बढ़कर 19.59 लाख रहा
मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के दौरान टू-व्हीलर्स का एक्सपोर्ट साल-दर-साल 16% बढ़कर 19,59,145 हो गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह नंबर 16,85,907 था। 2024 के पूरे पूरे वित्त वर्ष में 34.59 लाख टू-व्हीलर भारतीय मार्केट से एक्सपोर्ट हुए।
टोटल पैसेंजर व्हीकल एक्सपोर्ट 12% बढ़कर 3.77 लाख रहा
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल पैसेंजर व्हीकल शिपमेंट सालाना आधार पर 12% बढ़कर 3,76,679 हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2024 की सितंबर तिमाही में यह संख्या 3,36,754 थी।
हुंडई मोटर इंडिया का टोटल एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 1% गिरा
अप्रैल-सितंबर अवधि में हुंडई मोटर इंडिया का टोटल एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 1% गिरकर 84,900 रही। अप्रैल-सितंबर 2023 में कंपनी ने 86,105 गाड़ियों की एक्सपोर्ट की थी।
स्कूटर का एक्सपोर्ट 19% बढ़कर 3,14,533 हुआ
अप्रैल-सितंबर ड्यूरेशन में स्कूटर का एक्सपोर्ट 19% बढ़कर 3,14,533 रही। जबकि मोटरसाइकिल एक्सपोर्ट 16% बढ़कर 16,41,804 रहा। कॉमर्शियल व्हीकल का एक्सपोर्ट भी इस दौरान 35,731 रहा। सालाना आधार पर इसमें भी 12% की बढ़ोतरी रही।
वित्त वर्ष 2023-24 में 5.5% कम रहा था टोटल एक्सपोर्ट
दुनियाभर में चल रहे संघर्षों और वित्तीय संकट के चलते वित्त वर्ष 2023-24 में ऑटो एक्सपोर्ट में 5.5% की कमी रही। इस दौरान ग्लोबल मार्केट में टोटल 45,00,492 गाड़ियां भारत से भेजी गईं थीं। जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह संख्या 47,61,299 थी।
करेंसी डिवैल्युएशन के चलते कम हुआ था एक्सपोर्ट
एक्सपोर्ट में इस ग्रोथ पर SIAM के प्रेसिडेंट शैलेश चंद्रा ने कहा कि अमेरिका और अफ्रीका जैसे मेजर मार्केट, जो कई कारणों से स्लो पड़े थे वे वापस आ गए हैं। उन्होंने बताया कि करेंसी डिवैल्यूएशन के चलते अफ्रीकी देशों सहित कई अन्य देश केवल जरूरी वस्तुओं का ही इंपोर्ट कर रहे थे।