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रेपो रेट में कटौती का फैसला जोखिम भरा होता, RBI गवर्नर ने किया रिएक्ट

 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कटौती नहीं करने के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि रेपो रेट में कटौती के लिए मौजूदा समय असामयिक और बहुत जोखिम भरा होता क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी ऊंचे स्तर पर है। इसके साथ ही दास ने कहा कि भविष्य का मौद्रिक नीतिगत कदम आगामी आंकड़ों और इकोनॉमिकल आउटलुक पर निर्भर करेगा।

मुद्रास्फीति पर क्या बोले दास

शक्तिकांत दास ने कहा कि सितंबर की खुदरा मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर है और आगामी आंकड़े के भी नरम होने से पहले हाई रहने की आशंका है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जब आपकी मुद्रास्फीति साढ़े पांच प्रतिशत है और अगला आंकड़ा भी ऊंचे स्तर पर रहने का अनुमान है तो इस समय ब्याज दरों में कटौती बहुत असामयिक होगी और यह बहुत जोखिम से भी भरा हो सकता है। उन्होंने भविष्य में ब्याज दर में कटौती किए जाने से संबंधित कोई संकेत देने से इनकार करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक आने वाले आंकड़ों और आउटलुक के आधार पर कदम उठाएगा।

रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव

बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में रेपो रेट को बरकरार रखने का फैसला किया गया था। हालांकि आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख को संशोधित करते हुए ‘तटस्थ’ कर दिया। अब अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा छह दिसंबर को की जाएगी।

पुलिसकर्मी की तरह काम नहीं करते

शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक किसी पुलिसकर्मी की तरह काम नहीं करता, बल्कि वह वित्तीय बाजार पर कड़ी नजर रखता है और जरूरत पड़ने पर नियामकीय कदम उठाता है। उनकी यह टिप्पणी नवी फिनसर्व और तीन अन्य गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के खिलाफ बृहस्पतिवार को की गई नियामकीय कार्रवाई के एक दिन बाद आई है।

बता दें कि आरबीआई ने सचिन बंसल की अगुवाई वाली नवी फिनसर्व एवं तीन अन्य एनबीएफसी को 21 अक्टूबर की कारोबार समाप्ति से कर्ज मंजूर करने और वितरण से रोकने का आदेश दिया है। यह कदम अत्यधिक मूल्य निर्धारण सहित पर्यवेक्षी चिंताओं के कारण उठाया गया है।

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