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FPI की निकासी से लेकर बजाज ऑटो की चेतावनी तक, जानें स्टॉक मार्केट में गिरावट के 4 बड़े कारण – from withdrawal of fpi to warning of bajaj auto know the 4 big reasons for the decline in the stock market – बिज़नेस स्टैंडर्ड

Stock Market Down: भारतीय इक्विटी बेंचमार्क गुरुवार को लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में टूटे। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भारी बिकवाली, आय परिदृश्य पर संकट के बादल और उच्च मूल्यांकन बाजारों के लिए भारी पड़ रहे हैं।

कमजोर त्योहारी मांग की बजाज ऑटो (Bajaj Auto) की चेतावनी से भी शेयरों पर दबाव पड़ा। सेंसेक्स (Sensex) ने 495 अंकों की गिरावट के साथ 81,007 पर कारोबार की समाप्ति की जबकि निफ्टी (Nifty) 221 अंक टूटकर 24,750 पर आ टिका।

एफपीआई की इस माह 71,000 करोड़ रुपये की निवासी

दोनों सूचकांक 4 फीसदी नीचे हैं और एफपीआई की बिकवाली इस महीने अब तक 71,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुकी है। इसमें गुरुवार की 7,421 करोड़ रुपये की निकासी के अस्थायी आंकड़े भी शामिल हैं। एफपीआई की रिकॉर्ड बिकवाली का कारण यह है कि वे यहां से रकम निकालकर चीन में लगा रहे हैं।

बीएसई में लिस्टेड शेयरों का संयुक्त मार्केट कैप 6 लाख करोड़ रुपये घटकर 457 लाख करोड़ रुपये रह गया। एचडीएफसी बैंक और एमऐंडएम का सेंसेक्स की गिरावट में सबसे ज्यादा हाथ रहा। एचडीएफसी बैंक 1.6 फीसदी गिरा जबकि एमऐंडएम में 3.3 फीसदी की फिसलन देखने को मिली। सितंबर 2024 के आंकड़ों के मुताबिक एचडीएफसी बैंक में एफपीआई की हिस्सेदारी 48 फीसदी है।

बजाज ऑटो की इस चेतावनी से गिरा बाजार

बजाज ऑटो तब 13 फीसदी गिरा जब उसने नतीजों की घोषणा के समय कहा कि दशहरा के दौरान मोटरसाइकल की मांग अनुमान से कमजोर रही। कंपनी ने कहा कि मांग में संभावित बढ़ोतरी के लिए अभी वक्त है। लेकिन यह अनुमानित वृद्धि दर के पास शायद ही पहुंच पाएगी।

बजाज ऑटो के इस अनुमान ने निवेशकों के बीच घबराहट फैलाई जिन्हें लगा कि जरूरी खर्च से इतर मांग को झटका लगेगा और इससे अन्य क्षेत्रों मसलन प्रॉपर्टी को लेकर भी चिंता हुई जहां निवेश आकार और भी बड़ा है।

रियल्टी और वाहन क्षेत्र के शेयर सबसे ज्यादा टूटे और बीएसई पर उनके सेक्टर सूचकांकों में क्रमश: 3.8 फीसदी और 3.5 फीसदी की गिरावट आई। कमजोर आय, एफपीआई के रकम निकालकर चीन में लगाने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज कटौती को लेकर अनिश्चितता से जुड़ी चिंता के कारण भारतीय शेयरों पर दबाव है।

महंगाई के आंकड़ों ने भी डाला प्रभाव

सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया और सुरक्षित संपत्ति की बढ़ी मांग के बीच यह 2,683 डॉलर प्रति आउंस पर कारोबार कर रहा था। देसी बाजार में भी सोने की कीमत पहली बार 77,000 रुपये के पार निकल गई।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस हफ्ते जारी देसी महंगाई के बढ़े आंकड़ों और एफपीआई की बिकवाली ने बाजार के मनोबल पर असर डाला।

कंपनियों के कमजोर नतीजों का भी असर

इसके अलावा अहम कंपनियों की दूसरी तिमाही के निराशाजनक नतीजों ने भी दबाव में इजाफा किया। आने वाले समय में बाजार सीमित दायरे में रह सकता है जिसकी वजह मिलेजुले वैश्विक संकेतों और देसी संकेतकों का अभाव है।

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