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Editor’s Take: शेयर बाजार में न बड़ी गिरावट, न तेजी…आखिर क्यों फंसे हैं रेंज में? जानें अनिल सिंघवी की राय

 

Editor’s Take: घरेलू शेयर बाजारों में गुरुवार (17 अक्टूबर) को तेज उतार-चढ़ाव दिखाई दे रहा है. शेयर बाजार दो हफ्तों से ज्यादा वक्त से इस उतार-चढ़ाव वाले साइकल में फंसे हुए हैं. गुरुवार को निफ्टी की वीकली एक्सपायरी पर हल्की तेजी के साथ शुरुआत हुई, लेकिन फिर बाजार गिरते नजर आए. और ऐसा इस हफ्ते लगातार हो रहा है. बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स-निफ्टी दायरे में कारोबार कर रहे हैं. दिलचस्प है कि बाजार में न बड़ी गिरावट आ रही है, न तेजी के ट्रिगर मिल रहे है. उधर, अमेरिकी बाजारों में तेजी जारी है. एक दिन की सुस्ती के बाद US Markets बुधवार को फिर दौड़ लगाते नजर आए. करीब 350 अंकों की तेजी के साथ डाओ की रिकॉर्ड क्लोजिंग हुई तो नैस्डैक 50 अंक चढ़कर दिन की ऊंचाई पर बंद हुआ था.

क्यों दौड़ रहे हैं अमेरिकी बाजार?

अनिल सिंघवी ने कहा कि अमेरिका में तिमाही नतीजों का तगड़ा सीजन दिख रहा है. कल मॉर्गन स्टैनली के शानदार नतीजे आए. इकोनॉमी की मजबूती के सभी संकेत मिल रहे हैं. आज सितंबर रिटेल्स सेल्स आंकड़ों पर नजर रहेगी. ऐसे में अमेरिकी बाजारों के लिए अच्छे ट्रिगर्स आ रहे हैं.

बाजार क्यों फंसे हैं रेंज में?

इसे दो बिंदुओं में समझने की जरूरत है- पॉजिटिव और निगेटिव में. पॉजिटिव ट्रिगर ये है कि अमेरिकी बाजार लाइफ हाई पर हैं.  इजरायल-ईरान का तनाव और नहीं बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. और इतने तनाव के बावजूद कच्चा तेल $74 पर बना हुआ है. इसके अलावा, घरेलू फंड्स ने FIIs की बिकवाली का डटकर मुकाबला किया है. ऐसे में बाजार के पास मजबूती के लिए ये ट्रिगर्स हैं. लेकिन नहीं चलने की कई वजहें भी हैं.  इजरायल तनाव कम हुआ है, खत्म नहीं. FIIs की इस महीने सबसे बड़ी बिकवाली आई है.  बड़े IPO में भी पैसा जा रहा है. ऊपर से नतीजों का सीजन ढीला रहा है और आगे भी उम्मीदें कम ही लग रही हैं. ऐसे में रिटेल का जोश ठंडा हुआ है.

FIIs ने इतना बेचा, फिर भी कम गिरे?

उधर, FIIs की ओर से बिकवाली जारी है, लेकिन बाजार फिर उतना बड़ा झटका नहीं खा रहे. इस महीने FIIs ने अब तक 78,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. ये किसी एक महीने की अब तक की सबसे ज्यादा बिकवाली है. मार्च 2020 कोविड पैनिक में भी 66,000 करोड़ की बिकवाली की थी. घरेलू निवेशकों की ताकत से गिरावट सिर्फ 5% की रही है, जबकि 2020 में टॉप से बाजार 40% लुढ़के थे.

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