Market news: 15 अक्टूबर को भारतीय बेंचमार्क इंडेक्सों में गिरावट दर्ज की गई और निफ्टी 25,100 से नीचे चला गया। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 152.93 अंक या 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 81,820.12 पर और निफ्टी 70.70 अंक या 0.28 फीसदी की गिरावट के साथ 25,057.30 पर बंद हुआ। आज लगभग 1967 शेयरों में तेजी आई, 1808 शेयरों में गिरावट आई और 106 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 0.3 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स में 1 फीसदी की बढ़त हुई।
निफ्टी में सबसे तेजी दिखाने वाले शेयरों में आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, बीपीसीएल, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल रहे। जबकि गिरने वाले शेयरों में बजाज ऑटो, विप्रो, बजाज फाइनेंस, हिंडाल्को और एचडीएफसी लाइफ शामिल रहे।
सेक्टोरल इंडेक्सों पर नजर डालें तो मेटल इंडेक्स में 1.5 फीसदी की गिरावट आई, ऑटो में लगभग 1 फीसदी की गिरावट आई, फार्मा में 0.5 फीसदीकी गिरावट आई। दूसरी तरफ रियल्टी इंडेक्स में 2 फीसदी की बढ़त हुई और मीडिया इंडेक्स में 0.7 फीसदी की बढ़त हुई। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 0.3 फीसदी की बढ़त हुई और स्मॉलकैप में 1 फीसदी की बढ़त हुई।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा का कहना है कि बाजार आज वोलेटाइल रहा और थोड़ा गिरकर बंद हुआ। बाजार में करेक्शन का फेज जारी रहा। शुरुआती बढ़त के बाद, निफ्टी में तेज गिरावट आई और रिलायंस, बजाज ऑटो और टीसीएस जैसे दिग्गज शेयरों में कमजोरी के कारण बंद होने तक यह एक सीमित दायरे में ही कारोबार करता रहा। सेक्टोरल इंडेक्सों का प्रदर्शन मिलाजुला रहा। रियल्टी और एफएमसीजी हरे निशान पर बंद हुए। जबकि, मेटल और ऑटो सबसे ज्यादा नुकसान में रहे। मिड और स्मॉलकैप इंडेक्सों ने एक बार फिर बेहतर प्रदर्शन किया। स्मॉल-कैप इंडेक्स में एक फीसदी से अधिक की बढ़त देखने को मिली।
बाजार की यह चाल उम्मीदों के अनुरूप ही है। अब जब तक निफ्टी 25,300 के स्तर को पार न कर ले तब तक सतर्क रुख बनाए रखने की सलाह होगी। हालांकि, चुनिंदा सेक्टर और थीम में अभी भी खरीदारी के अवसर नजर आ रहे हैं। ऐसे में ट्रेडरों को स्टॉक चुनने पर फोकस करना चाहिए और संतुलित नजरिया अपनाना चाहिए।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर का कहना है कि मिलेजुले ग्लोबल संकेतों और आंशिक मुनाफावसूली के कारण घरेलू बाजार में गिरावट देखने को मिली। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है, लेकिन ये ग्लोबल मांग में कमी का संकेत है। इसके अलावा, खाने-पीने की चीजों की महंगाई के कारण भारत के सीपीआई में उछाल आया है। इससे दरों में कटौती में देरी हो सकती है। इसके अलावा, दूसरी तिमाही के सुस्त कॉर्पोरेट नतीजों के कारण भी बाजार में सतर्क रुख देखने को मिल रहा है।
मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे का कहना है कि सोमवार की तेजी के बाद आज बाजार फिर लाल निशान पर बंद हुआ है। पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष और कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट के बीच वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता का डर बना हुआ है। इससे मांग में मंदी का संकेत मिल रहा है। इस अनिश्चितता के माहौल में वैलैटिलिटी बढ़ गी है। सुस्ती का एक अन्य कारण प्राथमिक बाजार पर निवेशकों का फोकस हो सकता है क्योंकि घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों की निगाहें हुंडई के आईपीओ पर लगी हुई हैं।
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