कार्नेलियन एसेट मैनेजमेंट एंड एडवाइजर्स के संस्थापक विकास खेमानी ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि वे आईटी क्षेत्र पर बहुत ज्यादा बुलिश हैं, क्योंकि यह अमेरिकी ब्याज दर चक्र से लाभ उठाने वाले सबसे बेहतर सेक्टरों में से एक है। बीएफएसआई कंपनियों का आईटी खर्च बढ़ रहा है। साथ ही टियर 1 कंपनियां मजबूत ग्रोथ दर्ज कर रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में आईटी सेक्टर के रेवेन्यू में सुधार होगा।
इसके अलावा खेमानी, जिनके पास कैपिटल मार्केट का 27 सालों से ज्यादा का अनुभव है, का मानना है कि अगले तीन-चार सालों के लिए रक्षा और रेलवे सेक्टर में अब बहुत संभावना नहीं बची है। इनके बजाय विकास को बैंकिंग, मैन्युफैक्चरिंग, फार्मा और आईटी में बेहतर रिस्क-रिवॉर्ड के अवसर दिख रहे हैं।
विकास ने इस बातचीत में कहा कि जो लोग कहते हैं कि बाजार महंगे हैं, वे अक्सर भारत को “रिवर्सन टू मीन” की सोच के साथ देखते हैं। उनको लगता है कि पिछले पैटर्न ही दोहराए जाएंगे। लेकिन भारत बदलाव के दौर से गुजर रहा है, और ऐसे समय में रिवर्सन टू मीन (औसत पर वापसी) लागू नहीं होती है। भारत बड़े बदलाव से गुजर रहा है। ऐसे में हमारे बाजार सस्ते नहीं हैं, तो वे महंगे भी नहीं हैं
उन्होंने आगे कहा कि अर्निंग ग्रोथ मजबूत है और ढ़ाचागत सुधार हो रहा है। चीनी मौद्रिक नीति में हाल के बदलावों ने चीन की ओर विदेशी पैसे के प्रवाह को बढ़ाया है। भू-राजनीतिक तनावों के बढ़ने के साथ-साथ इस फैक्टर ने भी बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ाई है। हालांकि, अब बाजार में एक हेल्दी टाइम करेक्शन की उम्मीद है। भारत से हो रही शॉर्ट टर्म विदेशी निकासी को लेकर परेशान होने को जरूरत नहीं है।
विकास ने आगे कहा कि वे मध्यम से दीर्घावधि में भारत की स्ट्रक्चरल ग्रोथ को लेकर पॉजिटिव हैं। बाजार में खरीदारी के अवसर हैं, लेकिन जल्दबाजी की कोई ज़रूरत नहीं है। मैन्युफैक्चरिंग, फाइनेंशियल और खपत वाले शेयर आकर्षक लग रहे हैं और इनके अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।
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