India

JRD Tata ने अचानक क्यों रतन टाटा को सौंप दी थी समूह की कमान? जानिए यह दिलचस्प कहानी

रतन टाटा के निधन की खबर सुनकर हर व्यक्ति मायूस है। उद्योग की दुनिया से जुड़े रतन टाटा को उद्योग के बाहर की भी दुनिया में जो सम्मान हासिल था, उसकी शायद ही कोई दूसरी मिसाल मिले। इसमें सबसे बड़ा हाथ टाटा ब्रांड की व्यापक पहुंच का रहा। सॉल्ट से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले टाटा ग्रुप ने लोगों के दिल में जो जगह बनाई है, वह बेमिसाल है। इसका बड़ा श्रेय रतन टाटा को जाता है। जेआरडी टाटा से समूह की कमान अपने हाथ में लेने के बाद रतन टाटा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सवाल है कि आखिर उनके हाथ टाटा समूह की कमान कैसे आई थी?

1991 में रतन टाटा को मिली थी समूह की कमान

JRD Tata ने मार्च 1991 में टाटा ग्रुप की कमान रतन टाटा के हाथों में सौंप दी थी। रतन टाटा ने खुद इस दिलचस्प घटना के बारे में बताया था। उन्होंने टीवी पर आने वाले सिमी ग्रेवाल के एक शो Rendezvous में इस बारे में खुलासा किया था। यह बात 1991 की थी। रतन टाटा ने कहा था, “मैं और जेआरडी एक कार्यक्रम के लिए जमशेदपुर में थे। मुझे स्टटगार्ट (जर्मनी का शहर) किसी मीटिंग के लिए जाना था। जब मैं वापस आया तो मुझे पता चला कि वह (जेआरडी) हार्ट की समस्या की वजह से बॉम्बे के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती हैं।”

 

इस वजह से जेआरडी ने लिया था फैसला

रतन टाटा ने बताया था, “जेआरडी करीब एक हफ्ते ब्रीच कैंडी में रहे। मैं रोज उनसे मिलने जाता था। शुक्रवार को वह हॉस्पिटल से बाहर आ गए। मैं सोमवार को उनसे मिलने ऑफिस गया। जेआरडी अक्सर मिलते ही पूछते थे-नया क्या है? मैं कहता था कि पिछली बार जब मैं आपसे मिला था, तब से अब तक कुछ नहीं है। इस पर, जेआरडी ने कहा कि मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ नया है और मैं तुम्हें बताना चाहता हूं। तुम बैठो। जमशेदपुर में मेरे साथ जो हुआ उसके बाद से मैं इस्तीफा देने के बारे में सोच रहा हूं। और मैंने फैसला लिया है कि तुम्हें मेरी जगह लेनी होगी।”

रतन को कमान सौंपने के 2 साल बाद जेआरडी का निधन

उन्होंने कहा था, “जेआरडी ने कुछ दिनों बाद यह प्रस्ताव बोर्ड के सामने रखा।” दरअसल, टाटा समूह के सफर में वह ऐसा पल था, जिसके गर्भ में बहुत कुछ छिपा था। जेआरडी टाटा ने 40-50 साल तक टाटा समूह का नेतृत्व किया था। उनकी भावनाएं इस समूह और इसकी हर कंपनी और एंप्लॉयीज से जुड़ी थी। खास बात यह है कि रतन टाटा को कमान सौंपने के दो साल बाद ही जेआरडी टाटा का स्विट्जरलैंड के जेनेवा में निधन हो गया। आज भी यह सोचने की हमें मजबूर करती है कि अगर जेआरडी टाटा ने 1991 में वह बड़ा फैसला नहीं लिया होता तो क्या आज टाटा समूह ऐसा होता, जैसा हम आज देख रहे हैं?

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
NIFTY 50 
₹ 23,532.70  0.11%  
NIFTY BANK 
₹ 50,179.55  0.18%  
S&P BSE SENSEX 
₹ 77,580.31  0.14%  
RELIANCE INDUSTRIES LTD 
₹ 1,267.60  1.24%  
HDFC BANK LTD 
₹ 1,692.75  0.68%  
CIPLA LTD 
₹ 1,499.75  0.39%  
TATA MOTORS LIMITED 
₹ 774.30  1.52%  
STATE BANK OF INDIA 
₹ 804.25  0.54%  
BAJAJ FINANCE LIMITED 
₹ 6,549.15  0.26%  
BHARTI AIRTEL LIMITED 
₹ 1,550.50  0.00%  
WIPRO LTD 
₹ 566.70  0.40%  
ICICI BANK LTD. 
₹ 1,256.95  0.26%  
TATA STEEL LIMITED 
₹ 137.98  0.86%  
HINDALCO INDUSTRIES LTD 
₹ 627.35  0.12%