हाल में चीन और हांगकांग के स्टॉक मार्केट्स में तेजी देखने को मिली। इसकी वजह सरकार और पीपल्स बैंक ऑफ चीन की तरफ से इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने वाले कई उपाय थे। गोल्डन वीक हॉलीडे खत्म होने पर चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन की प्रेस ब्रीफिंग हुई। इसके बाद स्टॉक मार्केट्स की तेजी पर ब्रेक लग गया। दरअसल, सितंबर के अंत चीन के केंद्रीय बैंक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (पीपीओसी) ने कई बड़े ऐलान किए थे। इन्हें लिक्विडिटी और प्रॉपर्टी मार्केट के लिए बहुत अहम माना गया था। इससे चीन के कुछ शहरों में घर खरीदाना आसान हो गया।
पिछले एक महीने से यह चर्चा थी कि चीन की सरकार बड़े वित्तीय पैकेज का ऐलान करेगी। इसके बाद कई ब्रोकरेज फर्मों ने यह अनुमान लगाया कि सरकार इकोनॉमी को सहारा देने के लिए कौन-कौन से उपाय कर सकती है। दरअसल, चीन की इकोनॉमी कोविड की महामारी के असर से उबरने की कोशिश कर रही है। साथ ही चीन में रियल एस्टेट सेक्टर मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ऐसे में निवेशकों को यह उम्मीद थी कि सरकार की तरफ से इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने के लिए बड़े ऐलान आ सकते हैं। लेकिन, बड़े ऐलान हीं होने का असर स्टॉक मार्केट्स पर पड़ा।
कई इकोनॉमिस्ट्स और ब्रोकरेज फर्मों का मानना था कि चीन की सरकार कई लाख करोड़ युआन के राहत पैकेज का ऐलान करेगी, जो दो साल के लिए होगा। इस उम्मीद में चीन और हांगकांग के स्टॉक मार्केट के प्रमुख सूचकांकों में उछाल देखने को मिला। Shanghai इंडेक्स 18 सिंतबर को 2,689 प्वाइंट्स था। यह 8 अक्टूबर को बढ़कर 3,674 प्वाइंट्स तक पहुंच गया। यह सिर्फ तीन हफ्तों में 36 फीसदी का उछाल था। हैंगसेंग इंडेक्स 18 सितंबर को 16,964 पर था। यह 7 अक्टूबर को बढ़कर 23,241.7 पर पहुंच गया। यह तीन हफ्तों में 37 फीसदी उछाल था।
यह ध्यान में रखना जरूरी है कि इतना चढ़ने के बाद भी चीन के स्टॉक्स मार्केट्स की वैल्यूएशन दुनिया के दूसरे बाजारों के मुकाबले कम है। इस तेजी से पहले हैंगसेंग में उसके फॉरवर्ड अर्निंग्स के सिर्फ 9 गुना पर ट्रेडिंग हो रही थी। यह 2013 के बाद से इसके 11 गुना के ऐतिहासिक औसत से कम है। शंघाई इंडेक्स में भी तेजी से पहले उसके फॉरवर्ड अर्निंग्स के 11 गुना पर ट्रेडिंग हो रही थी। चीन के स्टॉक मार्केट्स में लंबे समय से डिस्काउंट पर ट्रेडिंग हो रही थी। हाल में आई तेजी की वजह स्पेकुलेशन था। सरकार की तरफ से बड़े राहत पैकेज के ऐलान की उम्मीद से मार्केट चढ़े थे।
चीन में सितंबर में इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने के लिए जिन उपायों का ऐलान हुआ था, उनका रियल एस्टेट मार्केट पर पॉजिटिव असर नहीं दिखा है। रियल एस्टेट मार्केट में लोगों के करीब 18 लाख करोड़ डॉलर डूब जाने का अनुमान है। कुछ एक्सपर्ट्स ने कहा था कि सरकार की तरफ से बड़े राहत पैकेज के ऐलान की उम्मीद में मार्केट में जरूरत से ज्यादा तेजी आई है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर राहत पैकेज का ऐलान नहीं हुआ तो बाजार की यह तेजी टिक नहीं पाएगी। ठीक वैसा ही हुआ। गोल्डन वीक हॉलीडे के बाद मार्केट ओपन होने पर हैंगसेंग 11 फीसदी से ज्यादा गिरा। हालांकि, यह थोड़ा संभलने के बाद 9.41 फीसदी गिरकर बंद हुआ। यही हाल शंघाई का रहा।
खास बात यह है कि बड़े राहत पैकेज की उम्मीद में न सिर्फ स्टॉक मार्केट्स में तेजी आई थी बल्कि कमोडिटीज की कीमतों में भी तेजी दिखी थी। अब कमोडिटीज की कीमतों में भी तेज गिरावट दिख रही है। क्रूड ऑयल का प्राइस 4 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। मेटल्स की कीमतों में 3-4 फीसदी की गिरावट आई है। चीन की इकोनॉमी मुश्किल में है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, चीन की इकोनॉमॉमिक ग्रोथ 2025 में और कम रहने का अनुमान है।
कुछ इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्मों ने इंडियन मार्केट्स से पैसे निकालकर चीन के मार्केट्स में लगाने की सलाह दी है। उनका मानना है कि अभी चीन के स्टॉक मार्केट्स की वैल्यूएशन कम है। बड़े राहत पैकेज का ऐलान होने पर चीन की इकोनॉमी में मजबूती आएगी। लेकिन, फिलहाल चीन की इकोनॉमी के लिए कई चुनौतियां दिख रही हैं। खासकर इसकी रिकवरी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगी। अगर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन के मार्केट्स पर फिर से दबाव बढ़ जाएगा।