खरीदारी की यह दौड़ अकेली घटना नहीं है। ऐतिहासिक तौर पर घरेलू संस्थागत निवेशकों (खास तौर से फंडों) ने विदेशी फंडों की तेज बिकवाली के दौरान खरीदारी का मौका देखा। सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सतत निवेश से म्युचुअल फंडों को बाजार में गिरावट के दौरान खरीद का सामर्थ्य मिलता है।
घरेलू समर्थन से भारतीय बाजारों को गिरावट थामने में मदद मिली है और उतार-चढ़ाव नियंत्रण में रहा है। अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच एफपीआई ने भारतीय बाजार से 2.56 लाख करोड़ रुपये निकाले जिससे बाजार में 18 फीसदी की गिरावट आई। लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों की मजबूत खरीद से बाजार को कुछ ही महीनों में सारे नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली।
एफपीआई और देसी संस्थागत निवेशकों के बीच जोरदार रस्साकशी से सेंसेक्स 26 सितंबर को अपने सर्वोच्च स्तर से 5 फीसदी पीछे चला गया था। देसी निवेशकों की तेज खरीदारी से गिरावट कम करने में मदद मिली, लेकिन एफपीआई की भारतीय परिसंपत्तियों में 1 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की हिस्सेदारी से यह सुनिश्चित होता है कि उनकी गतिविधियां भी बाजार को दिशा देने वाली बनी हुई हैं।