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Gold की कीमतों में तेजी का ट्रेंड, क्या आपको माइनिंग कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए?

मेरे एक दोस्त ने 2020 में गोल्ड माइनिंग कंपनियों के शेयरों में निवेश किया था। उस साल वॉरेन बफे की कंपनी बर्कशायह हैथवे ने भी बैरिक गोल्ड कॉर्पोरेशन में 60 करोड़ डॉलर निवेश किया था। बैरिक गोल्ड दुनिया की सबसे बड़ी गोल्ड माइनिंग कंपनियों में से एक है। शायद मेरे दोस्त और वफे को गोल्ड की कीमतों में आने वाली तेजी का अंदाजा हो गया था। अगर आप इंडिया में गोल्ड माइनिंग कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास विकल्प कम हैं। सिर्फ एक कंपनी Deccan Gold Mine दिखती है।

इंडिया में ज्यादा गोल्ड माइनिंग कंपनियां लिस्टेड नहीं 

Vedanta गोल्ड की माइनिंग नहीं करती है। Titan और Kalyan Jewellers गोल्ड ज्वैलरी बनाती हैं। विदेश में कई गोल्ड माइनिंग कंपनियां स्टॉक्स एक्सचेंज में लिस्टेड हैं। पिछले साल NMDC ने अपनी सब्सिडियरी Legacy Iron Ore के जरिए गोल्ड माइनिंग में उतरी थी। लेकिन, उसकी गोल्ड माइंस माउंट सेलिया में स्थित हैं, जो पश्चिमी आस्ट्रेलिया में है।

गोल्ड माइनिंग कंपनियों के शेयरों में तेजी

मेरे दोस्त ने DSP World Gold Fund में सिप से निवेश शुरू किया है। यह फंड दुनियाभर की गोल्ड माइनिंग कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है। मेरे देस्त हर महीने इस फंड में 2,5000 रुपये निवेश करते हैं। पिछले कुछ सालों में उन्हें निवेश पर अच्छा रिटर्न दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि गोल्ड की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाने से गोल्ड माइनिंग कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है।

गोल्ड में तेजी का फायदा माइनिंग कंपनियों को मिलता है

माइनिंग कंपनियों के स्टॉक्स पर अंडरलाइंड मेटल की कीमतों में होने वाले उतारचढ़ाव का असर पड़ता है। कंपनी की वैल्यू पर कई दूसरी चीजों का भी असर पड़ता है। इनमें माइंस के साइज, कंपनी का मैनेजमेंट, प्रोडक्शन वॉल्यूम, मार्जिन आदि शामिल हैं। कंपनी की माइनिंग की कॉस्ट गोल्ड के करेंट प्राइस से कम होती है। अगर एक औंस गोल्ड की माइनिंग की कॉस्ट 700 और डॉलर है और गोल्ड की कीमत 1,000 से बढ़कर 2,000 डॉलर हो जाती है तो कंपनी का प्रॉफिट प्रति औंस 300 डॉलर से बढ़कर 800 डॉलर प्रति औंस पहुंच जाता है। हालांकि, गोल्ड माइनिंग कपनियों में निवेश में कई तरह की अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।

नई ऊंचाई बनाने के बाद गोल्ड में लंबे समय तक तेजी रहती है

सवाल है कि गोल्ड की कीमतों में तेजी का ट्रेंड कैसा रहा है? डीएसपी म्यूचुअल फंड के साहिल कपूर ने बताया कि गोल्ड 1980 के दशक में 870 डॉलर प्रति औंस के हाई लेवल पर पहुंच गया था। गोल्ड ने 2008 में जाकर इस लेवल को पार किया। उसके बाद फिर इसमें 2020 में तेजी आई। इस साल इसने अपने पिछले रिकॉर्ड हाई लेवल को तोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि जब गोल्ड की कीमतें अपने लाइफ-टाइम हाई के पार निकल जाती है तो बिकवाली के दबाव के बावूजद वह मजबूत बनी रहती है और लंबे समय तक उसमें तेजी जारी रहती है।

गोल्ड में कुछ निवेश करना समझदारी

अगर आप गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको इसमें बड़ा निवेश करने की जरूरत नहीं है। साथ ही आपको तब प्रॉफिट बुक करनी है जब प्राइस साइकिल आपके पक्ष में बनी हुई हो। इसलिए गोल्ड में निवेश करने के लिए धैर्य बहुत जरूरी है। अगर आप गिरावट के दौरान अपना धैर्य बनाए रख सकते हैं तो लंबी अवधि में आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

गोल्ड से अच्छा रिटर्न के लिए धैर्य जरूरी

मैंने अपने दोस्त से पूछा कि गोल्ड रिकॉर्ड ऊंचाई पर है तो क्या वह इसे बेचने के बारे में सोच रहा है? उसने कहा, “मैंने इसमें लंबी अवधि के लिए निवेश किया है। एक समय आएगा जब डॉलर दुनिया की रिजर्व करेंसी नहीं रह जाएगा। तब गोल्ड की वैल्यू आसमान में पहुंच जाएगी। साथ ही माइनिंग कंपनियों के शेयरों की कीमतें भी चढ़ेंगी।” मुझे नहीं पता कि उसका अनुमान सफल साबित होगा या नहीं। लेकिन, यह सही है कि उसके पास निवेश जारी रखने की अपनी वजह है। निवेश संभावनाओं के आधार पर होता है। हम संभावनाओं का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकते हैं।

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