Adani Wilmar Q4 results: अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी विल्मर ने आज 1 मई को FY24 की चौथी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं। जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनी का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट 59 फीसदी बढ़कर 156 करोड़ रुपये हो गया है। गौतम अदाणी की कंपनी ने एक साल पहले की समान अवधि में 98 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया था। अदाणी विल्मर के शेयरों में 30 अप्रैल को 4 फीसदी से अधिक की तेजी देखी गई है। यह स्टॉक BSE पर 357.45 रुपये के भाव पर बंद हुआ है। कंपनी का मार्केट कैप 46,457 करोड़ रुपये है।
Adani Wilmar Q4 : रेवेन्यू 3% लुढ़का
अदाणी एंटरप्राइजेज और विल्मर इंटरनेशनल के बीच ज्वाइंट वेंचर अदानी विल्मर सरसों, सूरजमुखी और सोयाबीन सहित कई तरह के एडिबल ऑयल बेचती है। हालांकि, मार्च तिमाही के दौरान कंपनी के रेवेन्यू में गिरावट देखी गई। ऑयल मील के एक्सपोर्ट बिजनेस में गिरावट के कारण रेवेन्यू पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 13,121.89 करोड़ रुपये से 3 फीसदी गिरकर 12,703.64 करोड़ रुपये हो गया। वॉल्यूम के हिसाब से एडिबल ऑयल में 11 फीसदी और फूड और FMCG में 9 फीसदी की वृद्धि हुई।
एडिबल ऑयल सेगमेंट
रीजनल मार्केटिंग कम्युनिकेशन और अन्य हस्तक्षेपों के चलते कंपनी को सूरजमुखी तेल में मार्केट शेयर हासिल हुई है। एडिबल ऑयल सेगमेंट ने Q4 में 10,195 करोड़ रुपये और FY24 में 38,788 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया। Q4 में वॉल्यूम में सालाना आधार पर 11 फीसदी और FY24 में सालाना 9 फीसदी की वृद्धि हुई। डोमेस्टिक ब्रांडेड सेल्स वॉल्यूम ओवरऑल ग्रोथ की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में सालाना आधार पर 13 फीसदी बढ़ी है। ब्रांडेड पोर्टफोलियो में तेजी से वृद्धि का यह लगातार दूसरा वर्ष है, जिसके चलते मार्केट शेयर में वृद्धि हुई है।
फूड और एफएमसीजी सेगमेंट ने Q4 में 1,341 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, जिसमें तिमाही में सालाना आधार पर 9 फीसदी की वॉल्यूम ग्रोथ हुई। FY24 में डोमेस्टिक रेवेन्यू और वॉल्यूम दोनों में 39 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि निर्यात में रोक के कारण चावल की एक्सपोर्ट वॉल्यूम में 4 फीसदी की गिरावट आई। नतीजतन, कुल फूड और एफएमसीजी रेवेन्यू में सालाना 23% की वृद्धि हुई, जिसके चलते 4,944 करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्राप्त हुआ।
इंडस्ट्री एसेंशियल सेगमेंट ने Q4 में 1,702 करोड़ रुपये और FY24 में 7,479 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया। चौथी तिमाही में इस सेगमेंट की वॉल्यूम में सालाना आधार पर 22 फीसदी की गिरावट आई। इसकी वजह ऑयल मील बिजनेस में 45 फीसदी की गिरावट है। ओलियो-केमिकल्स और कैस्टर कारोबार में क्रमशः 19 फीसदी और 4 फीसदी की वृद्धि हुई।