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SEBI F&O new rules: एफएंडओ के नए नियमों का BSE और NSE पर पड़ेगा कितना असर?

सेबी के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) के नियमों से कुछ 20 नवंबर से लागू हो जाएंगे। नियमों का सख्त बनाने का असर इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर पड़ेगा। अभी स्टॉक डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में एनएसई का पलड़ा भारी है। वॉल्यूम के मामले में वह बीएसई से काफी आगे है। सवाल है कि नए नियमों का बीएसई और एनएसई पर कितना असर पड़ेगा?

बीएसई सेंसेक्स से जुड़े वीकली डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट को जारी रखेगा। इस मामले से जुड़े दो लोगों ने यह जानकारी दी। सेबी के नए नियम के मुताबिक, हर स्टॉक एक्सचेंज को सिर्फ एक वीकली ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट की इजाजत होगी। 3 अक्टूबर को बीएसई के शेयरों में तेजी देखने को मिली। 1:33 बजे बीएसई का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा चढ़कर 4,018 रुपये था।

सेबी ने रिटेल इनवेस्टर्स को डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। सेबी की एक स्टडी के मुताबिक, अप्रैल 2021 से मार्च 2024 के तीन सालों में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में 92 फीसदी से ज्यादा रिटेल इनवेस्टर्स को लॉस हुआ है। उन्हें कुल 1.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। सेबी इस बारे में कई बार चिंता जता चुका था। इससे उम्मीद की जा रही थी कि मार्केट रेगुलेटर जल्द एफएंडओ के नियमों को सख्त बना सकता है। उसने 1 अक्टूबर को नए नियम जारी कर दिए।

 

अभी बीएसई में सूचकांकों से जुड़े दो कॉन्ट्रैक्ट्स-BSE Sensex और BSE Bankex में ट्रेडिंग होती है। एक सूत्र ने बताया कि Bankex के मुकाबले BSE Sensex में वॉल्यूम काफी ज्यादा है। इसलिए बीएसई वीकली कॉन्ट्रैक्ट के लिए बीएसई सेंसेक्स को जारी रखने का फैसला लेगा। इस बारे में बीएसई के प्रवक्ता ने पूछ गए सवाल का जवाब नहीं दिया। अगस्त में बीएसई के इंडेक्स ऑप्शन में नॉशनल टर्नओवर 2,603 लाख करोड़ रुपये था। FY24 में कुल वॉल्यूम में सेंसेक्स की हिस्सेदारी 85 फीसदी थी।

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा है कि उसने बीएसई की प्रति शेयर आय (EPS) में 10 फीसदी की कमी की है। उसने Bankex प्रोडक्ट बंद होने के अनुमान के आधार पर ऐसा किया है। उसने यह भी कहा है कि नए नियम लागू होने के बाद उसका फोकस सेंसेक्स प्रोडक्ट के वॉल्यूम पर पड़ने वाले असर पर होगा। इस बीच, ब्रोकरेज फर्म IIFL Securities ने कहा है कि उसे नए नियमों की वजह से BSE के वॉल्यूम में 20 फीसदी और NSE के वॉल्यूम में 30-35 फीसदी कमी आने का अनुमान है।

डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिहाज से एनएसई इंडिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसमें वीकली एक्सपायरी वाले चार कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेडिंग होती है। इनमें Nifty, Bank Nifty, Fin Nifty और Nifty Midcap शामिल हैं। एनएसई का इंडेक्स ऑप्शंस का नॉशनल टर्नओवर अगस्त में 7,768 लाख करोड़ रुपये था। आईआईएफएल के मुताबिक, निफ्टी का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट प्रोडक्ट Bank Nifty है। एक्सचेंज के कुल ऑप्शन प्रीमियम वॉल्यूम में इसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी है।

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