IPO

IPO: क्या हर कंपनी के आईपीओ में पैसे लगाने की स्ट्रेटेजी फायेदमेंद है?

आईपीओ में निवेश पर सेबी की एक स्टडी से दिलचस्प जानकारी मिली है। पता चला है कि ज्यादातर इनवेस्टर्स फटाफट मुनाफा कमाने के लिए आईपीओ में निवेश कर रहे हैं। स्टडी के मुताबिक, निवेशक एलॉटमेंट के एक हफ्ते के अंदर 54 फीसदी शेयर बेच देते हैं। वे एक साल के अंदर 74 फीसदी शेयर बेच देते हैं। इससे यह पता चलता है कि आईपीओ में निवेशकों के पैसे लगाने की सबसे बड़ी वजह लिस्टिंग गेंस है। मार्केट में जब तक तेजी जारी रहेगी यह ट्रेंड जारी रहेगा। इस ट्रेंड में तभी बदलाव आएगा, जब लंबे समय तक निवेशकों को लॉस का सामना करना पड़ेगा। ऐसा पहले भी देखा जा चुका है।

कंसल्टेंसी और ऑडिट फर्म EY के मुताबिक, 2024 की पहली छमाही में रिकॉर्ड संख्या में कंपनियों ने आईपीओ बाजार में दस्तक दी हैं। यह दुनियाभर में आईपीओ पेश करने वाली कंपनियों की कुल संख्या का 27 फीसदी था। इंडियन कंपनियों ने इस दौरान दुनिया में आईपीओ से जुटाए अमाउंट से 9 फीसदी ज्यादा पैसे जुटाए। 2024 की दूसरी तिमाही में भी इस ट्रेंड के जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि आगे कुछ बड़ी कंपनियों के आईपीओ आने वाले हैं।

पिछले कुछ समय से आईपीओ में निवेश का निवेशकों का अनुभव अच्छा रहा है। इसकी वजह स्टॉक मार्केट में तेजी है। लेकिन, यह तेजी हमेशा जारी रहने वाली नहीं है। 2022-23 के दौरान आईपीओ (न्यू एज कंपनियों) में निवेश का कड़वा स्वाद चख चुके हैं। ग्लोबल मार्केट्स के डेटा भी इसी तरह के संकेत देते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के प्रोफेसर जे आर रिटर ने 1980-2022 के बीच अमेरिका में आईपीओ के ट्रेंड की स्टडी की।

उन्होंने पाया कि तीन साल में आईपीओ का रिटर्न मार्केट के मुकाबले निगेटिव में रहा है। इस स्टडी से यह भी पता चला कि ज्यादातर आईपीओ मार्केट में बुलरन के दौरान आते हैं या कंपनियों की प्रॉफिट साइकिल के बेस्ट फेज में आते हैं। 2007 में सबसे ज्यादा 108 कंपनियों ने आईपीओ पेश किए थे। 2004-2007 के दौरान स्टॉक मार्केट्स ने शानदारि रिटर्न दिए थे।

Quantam के फाउंडर आईपीओ की तुलना सौंदर्य प्रतियोगिता से करते हैं। इसमें उस इनवेस्टमेंट बैंकर को आईपीओ मैनेज करने का राइट्स मिल जाता है, जो कंपनी के लिए सबसे ज्यादा पैसे ऑफर करता है। इस तरह निवेशकों के हितों से समझौता होता है। उन्होंने कहा क्वांटम में हम आम तौर पर आईपीओ में पार्टिसिपेट नहीं करते हैं। कंपनी के मैनेजमेंट की क्वालिटी के अलावा स्टॉक्स की लिक्विडिटी हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है। इसलिए हम वॉल्यूम स्टैबलाइज करने का इंतजार करते हैं, क्योंकि लिस्टिंग के बाद के शुरुआती दिनों में ट्रेडिंग वॉल्यूम में काफी उतारचढ़ाव दिख सकता है।

आईपीओ कंपनियों के लिए पैसे जुटाने का अहम जरिया है। लेकिन, निवेशकों को सेलेक्टिव होने की जरूरत है। कुछ शानदार कंपनियां आईपीओ में पैसे बनाने के मौके देती हैं, लेकिन ऐतिहासिक डेटा बताते हैं कि आईपीओ में पैसे बनाने वालों से ज्यादा संख्या ऐसे निवेशकों की है, जिन्होंने लॉस उठाना पड़ता है। इसलिए निवेशकों को कंपनी के मैनेजमेंट की क्वालिटी को देखने के बाद ही आईपीओ में निवेश का फैसला लेना चाहिए। साथ ही उन्हें कंपनी की फेयर वैल्यू पर गौर करने के बाद ही निवेश करना चाहिए।

क्रिस्टी मथाई

(लेखक क्वांटम म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर (इक्विटी) हैं)

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
NIFTY 50 
₹ 23,907.25  2.39%  
NIFTY BANK 
₹ 51,135.40  1.51%  
S&P BSE SENSEX 
₹ 79,117.11  2.54%  
RELIANCE INDUSTRIES LTD 
₹ 1,265.40  3.47%  
HDFC BANK LTD 
₹ 1,745.60  0.25%  
CIPLA LTD 
₹ 1,486.50  1.43%  
TATA MOTORS LIMITED 
₹ 791.00  2.22%  
STATE BANK OF INDIA 
₹ 816.05  4.52%  
BAJAJ FINANCE LIMITED 
₹ 6,683.95  3.38%  
BHARTI AIRTEL LIMITED 
₹ 1,569.30  2.89%  
WIPRO LTD 
₹ 571.65  2.60%  
ICICI BANK LTD. 
₹ 1,278.05  2.20%  
TATA STEEL LIMITED 
₹ 142.78  1.83%  
HINDALCO INDUSTRIES LTD 
₹ 652.10  0.62%