भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) म्यूचुअल फंड को बढ़ावा देने और बाजार में नए खिलाड़ियों के प्रवेश को आसान बनाने के लिए म्यूचुअल फंड लाइट शुरू करने की तैयारी में है। इस पर सोमवार यानी आज होने वाली बैठक में अहम फैसला लिया जा सकता है। बोर्ड की इस पहल से मार्केट की लिक्विडिटी में भी सुधार आने की संभावना है। इससे इन्वेस्टमेंट के नए मौके भी सामने आएंगे।
दरअसल, जुलाई 2024 में सेबी ने इस बारे में एक परामर्श पेपर में पैसिव म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए एमएफ सेगमेंट में एक नियामक ढांचा एमएफ लाइट विनियमन का प्रस्ताव दिया था। इस परामर्श पत्र का मकसद नियमों के पालन से जुड़ी जरूरतों कम करने, नवाचार को बढ़ावा देने और ऐसे एमएफ, जो केवल पैसिव स्कीम लॉन्च करना चाहते हैं, उनको आसानी से प्रवेश का मौका देना है। हाल में सेबी ने इस सेगमेंट में वृद्धि की जानकारी दी थी।
म्यूचुअल फंड लाइट क्या है?
इस नई पेशकश के तहत नया सरलीकृत विनियामक ढांचा जारी किया जाएगा। एमएफ लाइट विनियम वैसे फंड हाउस पर लागू होंगे, जो सिर्फ इंडेक्स फंड्स और ईटीएफ जैसी पैसिव योजनाओं को प्रबंधित करेंगे। इन योजनाओं में जोखिम कम होने की वजह से एमएफ लाइट विनियम नियम आसान बनाए गए हैं। मतलब इसमें वित्तीय क्षेत्र के अनुभव की जरूरत को हटा दिया गया है। येे फंड हाउस सक्रिय योजनाओं से अलग रहेंगे। जानकार बताते हैं कि नए नियम के अनुसार, पुराने फंड को नई व्यवस्था का लाभ पाने के लिए अपने पैसिव और एक्टिव संचालन को अलग करना पड़ेगा ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके।
निवेशकों को क्या होगा फायदा
नए नियम के तहत आम निवेशकों के लिए निवेश के सस्ते और आसान विकल्प बढ़ेंगे। ऐसे फंड बनेंगे, जो सिर्फ इंडेक्स फंड और ईटीएफ जैसी पैसिव म्यूचुअल फंड स्कीम का प्रबंधन करेंगे। अभी पैसिव फंड का कुल व्यय अनुपात औसतन 20 आधार अंक है। जो फंड हाउस योजनाओं को मैनेज करेंगे, उनकी लागत यानी कुल व्यय अनुपात में और कमी आने की संभावना है। बाजार में नए खिलाड़ियों के आने से उनमें प्रतियोगिता बढ़ेगी और निवेशकों को विकल्प मिलेंगे।