अगस्त के पहले सप्ताह में निचले स्तर को छूने के बाद से भारत की सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर पीवीआर आईनॉक्स (पीवीआर) का शेयर करीब 20 प्रतिशत चढ़ा है। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स में 9 प्रतिशत की तेजी आई है। वित्त वर्ष 2025 की सुस्त अप्रैल-जून तिमाही के बाद इस शेयर के लिए सुधरती धारणा का कारण मजबूत मूवी प्रदर्शन को जिम्मेदार माना जा सकता है। इससे जुलाई-सितंबर (दूसरी तिमाही) और अक्टूबर-दिसंबर (तीसरी तिमाही) में कलेक्शन बढ़ने की संभावना है। साथ ही, कर्ज मुक्त होने की भी संभावना बढ़ी है।
दूसरी तिमाही में कई ब्लॉकबस्टर फिल्में आईं। इनमें कल्कि 2898 एडी, स्त्री 2, डेडपूल ऐंड वूल्वरिन और रयान मुख्य रूप से शामिल हैं। पीवीआर की बॉलीवुड में 40 प्रतिशत बाजार भागीदारी है जबकि क्षेत्रीय फिल्मों में 20 प्रतिशत और हॉलीवुड में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
आनंद राठी रिसर्च को दूसरी तिमाही में ऑक्यूपेंसी और औसत टिकट कीमतों में सुधार का अनुमान है। कंपनी ने पहली तिमाही में 235 रुपये की औसत टिकट कीमत के साथ 20.3 प्रतिशत की ऑक्यूपेंसी दर्ज की। तिमाही के लिए राजस्व वृद्धि तिमाही आधार पर 20 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है जबकि परिचालन मुनाफा मार्जिन में 10 से 12 प्रतिशत के बीच वृद्धि का अनुमान है।
कई ब्रोकरों का मानना है कि तीसरी तिमाही में सामग्री के बूते कंपनी को वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने दूसरी तिमाही के प्रदर्शन को मात देने में मदद मिलेगी। दूसरी तिमाही अब तक उसके लिए शानदार रही है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषकों अभिषेक बनर्जी और जयराम शेट्टी का मानना है कि पीवीआर को वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में मजबूत कंटेंट लाइनअप से मदद मिलेगी। इस दौरान पुष्पा 2: द रूल, भूल भुलैया 3 और सिंघम अगेन जैसी बहुप्रतीक्षित फिल्में रिलीज होंगी।
इस तिमाही में पांच मेगा-बजट फिल्में शामिल हैं जिनमें क्षेत्रीय फिल्में भी शामिल हैं और जो त्योहारी सीजन में रिलीज होने वाली हैं। कंपनी को विज्ञापन खर्च में भी बढ़ोतरी से भी पायदा मिल सकता है क्योंकि विज्ञापनदाता अधिक दर्शकों का लाभ उठाना चाहते हैं।
कंपनी सख्त लागत नियंत्रण उपायों पर ध्यान दे रही है। वह तालमेल का लाभ उठाना चाहती है। इससे उसके मार्जिन में वृद्धि होने की उम्मीद है। महामारी से पहले पीवीआर ने 33-34 प्रतिशत के ऑक्यूपेंसी स्तर के साथ 20 प्रतिशत मार्जिन हासिल किया था।
बीऐंडके सिक्योरिटीज के अनुसार अगस्त 2024 में कंपनी ने 28.5 प्रतिशत की ऑक्यूपेंसी दर दर्ज की और महीने का समापन 20 प्रतिशत मार्जिन के साथ किया जो उत्साहजनक है।
पीवीआर ऐसेट-लाइट मॉडल अपनाकर और अपने व्यवसाय में पूंजीगत खर्च कम कर कर्ज घटाना चाहती है। कंपनी नए स्क्रीन संबंधित पूंजीगत खर्च में निवेश के लिए डेवलपरों के साथ संयुक्त उपक्रम भागीदारी कर रही है और उसने वित्त वर्ष 2025 में अपना कुल पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2024 के मुकाबले 25 प्रतिशत तक घटाने की योजना बनाई है।
कंपनी स्क्रीन जोड़ने के मामले में सतर्क रुख अपना रही है। वित्त वर्ष 2025 में 120 नए स्क्रीन जोड़ने का लक्ष्य है और कम पहुंच वाले दक्षिण भारतीय बाजार में विस्तार के प्रयासों को प्राथमिकता दे रही है।
वित्त वर्ष 2025 और 2025-26 के लिए कुल स्क्रीन वृद्धि का लगभग 10 प्रतिशत और 20-25 प्रतिशत प्रबंधन शुल्क या राजस्व-हिस्सेदारी मॉडल से संबंधित होगा। प्रबंधन शुल्क शुद्ध संग्रह का 9 प्रतिशत तय किया गया है जबकि राजस्व-साझेदारी मॉडल के तहत डेवलपर को पूंजीगत व्यय का 70-80 प्रतिशत वहन करना होगा।
आनंद राठी रिसर्च के शोभित सिंघल और प्रणय शाह का कहना है कि कंटेंट फ्लो के अलावा कर्ज घटाने (मुंबई, पुणे और वड़ोदरा में तीन संपत्तियों की बिक्री के जरिये) के प्रयासों और ऐसेट-लाइट मॉडल से परिचालन दक्षता में सुधार आय वृद्धि और शेयर की रेटिंग में सुधार के लिए अच्छा संकेत हैं।
जहां ब्रोकरेज ने 2,065 रुपये के कीमत लक्ष्य (PVR Inox share target price) के साथ ‘खरीदें’ रेटिंग को बरकरार रखा है वहीं आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने 2,250 रुपये के कीमत लक्ष्य के साथ इस शेयर पर ‘खरीदें’ रेटिंग दोहराई है। मौजूदा भाव पर इन कीमत लक्ष्यों से 21 प्रतिशत की तेजी का पता चलता है।
बीऐंडके सिक्योरिटीज ने लागत अनुकूलन और भविष्य में कम पूंजीगत खर्च को ध्यान में रखते हुए पीवीआर के लिए अपने मध्यावधि से दीर्घावधि अनुमान बढ़ाए हैं। उसने होल्ड रेटिंग और 1,624 रुपये के लक्ष्य के साथ सतर्क नजरिया बरकरार रखा है।