RBI News: अमेरिकी फेड ने बेंचमार्क रेट में कटौती की तो इस बात को लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं कि क्या अब भारत में केंद्रीय बैंक RBI भी ऐसा ही फैसला लेगा या नहीं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इसे लेकर एक पोल कराया जिसमें अधिकतर इकनॉमिस्ट्स का मानना है कि छह महीने में आरबीआई ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की कटौती कर सकता है लेकिन अक्टूबर की बैठक में इसकी उम्मीद नहीं है कि रेपो रेट में कटौती होगी। अधिकतर इकनॉमिस्ट्स का अनुमान है कि दरों में कटौती के लिए दिसंबर तक का इंतजार करना पड़ सकता है। रेपो रेट में कटौती का फायदा सस्ते लोन के रूप में आम लोगों को मिलता है।
क्यों नहीं है RBI से Repo Rate में कटौती की गुंजाइश?
अधिकतर इकनॉमिस्ट्स का कहना है कि अमेरिकी फेडरल ने इस महीने ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की कटौती की लेकिन आरबीआई इस रास्ते पर चलने की जल्दबाजी नहीं करेगा क्योंकि घरेलू इकनॉमी मजबूत है और करेंसी भी स्थिर है। इस कारण 76 में से 63 यानी 80 फीसदी इकनॉमिस्ट्स का मानना है कि आरबीआई रेपो रेट में इस बार यानी अक्टूबर की बैठक में कटौती नहीं करेगा। आरबीआई के मौद्रिक नीतियों के कमेटी की बैठक 7-9 अक्टूबर को है। 12 इकनॉमिस्ट्स ने इसमें 0.25 फीसदी की कटौती का अनुमान लगाया है तो एक का अनुमान रेपो रेट के 6.50 से घटकर 6.15 फीसदी पर आने का अनुमान लगाया है। आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका फोकस फॉरेक्स मार्केट में सीधी दखल के जरिए रुपये को स्थिर बनाए रखने पर है।
एसबीआई के चेयरमैन सीएस शेट्टी पहले ही अनुमान जाहिर कर चुके हैं कि इस बार की बैठक में रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं दिख रही है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी पहले कह चुके हैं कि महंगाई दर में कुछ गिरावट से प्रभावित नहीं हो जाना चाहिए। इससे अनुमान लगा गया कि रेपो रेट में कटौती से पहले इकॉनमी को लेकर आरबीआई और भरोसेमंद होना चाहता है।
US Fed की तुलना में सुस्त हो सकती है कटौती की रफ्तार
कुछ इकनॉमिस्ट्स ने अक्टूबर में रेपो रेट को लेकर किसी फैसले पर कोई अनुमान नहीं लगाया क्योंकि एमपीसी के कुछ सदस्यों का कार्यकाल 4 अक्टूबर को खत्म होने वाला है। इकनॉमिस्ट्स का अनुमान है कि अगली तिमाही में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है जिसमें 71 में से 41 यानी करीब 60 फीसदी ने इसके 6.25 फीसदी होने की उम्मीद जताई है। 22 यानी एक तिहाई से थोड़े कम ने इसके 6.50 फीसदी औऱ बाकी 8 ने इसके 6.15 फीसदी या इससे कम होने की उम्मीद जताई। इसके बाद फरवरी में 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद और है जिसके बाद रेपो रेट 6 फीसदी तक आ सकता है। यह फेड के रेट कटौती की उम्मीदों से काफी सुस्त है। अमेरिकी फेड से अनुमान है कि अगले तीन महीने में यह दरों में 0.50 फीसदी की कटौती और कर सकता है और 2025 में दरों में 1 फीसदी की कटौती हो सकती है।
Acuite Ratings के इकनॉमिस्ट सुमन चौधरी के मुताबिक दरों में कटौती के लिए आरबीआई इसलिए जल्दबाजी नहीं करेगा क्योंकि भारतीय इकॉनमी अभी भी मजबूत बनी हुई है। उन्होंने दिसंबर में कटौती की उम्मीद जताई है। इनफ्लेशन की बात करें तो हाल ही में इसमें गिरावट आई थी लेकिन इसके फिर से बढ़ने के आसार हैं और इस वित्त वर्ष 2025 में यह औसतन 4.5 फीसदी पर रह सकता है और अगले वित्त वर्ष 2026 में यह 4.3 फीसदी रह सकता है। अभी यह आरबीआई के 2-4 फीसदी के टारगेट रेंज में बनी हुई है।