भारत में अस्पताल में भर्ती होने की लागत तेजी से बढ़ रही है। हार्ट की बीमारी के लिए 1 करोड़ रुपये का क्लेम इंश्योरेंस कंपनी के पास आया है। देश में अस्पताल और बीमारी पर होने वाला खर्च अपने पीक पर पहुंच गया है। 2023-24 के लिए औसत दावा ₹70,558 तक पहुंच गया है, जो पिछले साल ₹62,548 से 11.35% अधिक है। यह बढ़ोतरी स्वास्थ्य खर्चों की गंभीर स्थिति को दिखाती है। ऐसा बीमा कंपनी ACKO की इंडिया हेल्थ रिपोर्ट 2024 में बताया गया है। चिकित्सा पर होने वाला खर्च इस समय 14% है। ये लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के कारण और बढ़ गया है। रिपोर्ट में लगभग 60,000 स्वास्थ्य बीमा दावों के आधार पर रिपोर्ट बनाई गई है। इसमें कहा गया है कि पुरुषों ने औसतन ₹77,543 का दावा किया, जबकि महिलाओं ने (गर्भावस्था के दावों को छोड़कर) ₹69,553 का दावा किया गया है।
बढ़ने लगा है बीमारियों पर खर्च
रिपोर्ट बताती है कि स्वास्थ्य बीमा कवरेज की आवश्यकता बहुत जरूरी है। कई परिवारों को अस्पताल में भर्ती होने पर गंभीर फाइनेंशियल दबाव का सामना करना पड़ता है। सामान्य हेल्थ प्रोसेस की लागत भी बढ़ रही है। जैसे, एंजियोप्लास्टी की लागत 2018 में ₹1-1.5 लाख से बढ़कर 2024 में ₹2-3 लाख हो गई है। यह 2030 तक ₹6-7 लाख तक पहुंच सकती है। गुर्दे के प्रत्यारोपण की लागत भी दोगुनी हो गई है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के वित्तीय प्रभाव की चिंता बढ़ती है।
उम्र के हिसाब से बढ़ रही हैं ये बीमारियां
रिपोर्ट में बताया गया है कि अलग-अलग उम्र के लोगों में कौन सी बीमारियां अधिक आम हैं। 18 साल से कम उम्र के बच्चों में सांस संबंधी समस्याएं अधिक होती हैं, जो इस आयु समूह में 11% से अधिक दावों का कारण बनती हैं। 18 साल के बाद यह समस्या कम हो जाती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ट्यूमर और हार्ट संबंधी बीमारियों के क्लेम बढ़ते हैं।
हार्ट की बीमारी के लिए मिला 1.1 करोड़ दावा
एक हार्ट से जुड़ी बीमारी का दावा ₹1.1 करोड़ से अधिक था। किडनी की बीमारी का एक दावा ₹24 लाख से ज्यादा था। ये स्वास्थ्य समस्याओं के वित्तीय प्रभाव को दिखाता है। कोलकाता और मुंबई में हार्ट संबंधी बीमारियां ज्यादा देखी जाती हैं, जबकि दिल्ली एनसीआर में गुर्दे से संबंधित दावों की संख्या अधिक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 69% मेटरनिटी क्लेम सी-सेक्शन डिलीवरी के लिए हैं, जो प्रसव के तरीकों में बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है।