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Nifty 26000 के पार, आपको निवेश बनाए रखना चाहिए या प्रॉफिट बुक करना चाहिए?

स्टॉक मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक 26 सितंबर को नई ऊंचाई पर पहुंच गए। निफ्टी 26,000 का मनोवैज्ञानिक स्तर पार कर चुका है। हालांकि, ज्यादा एक्शन मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में देखने को मिला। बीते एक साल में इंडियन स्टॉक मार्केट ने 32 फीसदी का शानदार रिटर्न दिया है। लेकिन, कई सेक्टर में वैल्यूएशन आसमान में पहुंच गई है। सवाल है कि क्या आपको इस तेजी में मुनाफा बनाना चाहिए या निवेश में सावधानी बरतनी चाहिए?

इस जुलाई तक एनएसई के डेटा बताते हैं कि बाजार में घरेलू निवेश का ज्यादा असर दिखा है। हालांकि, बीते कुछ महीनों से विदेशी संस्थागत निवेशक भी पैसे लगा रहे हैं। घरेलू निवेशकों ने ज्यादा निवेश मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में लगाए हैं। बीते एक साल में Nifty Mid-Cap इंडेक्स और Small-Cap इंडेक्स का रिटर्न Nifty से ज्यादा रहा है।

अभी निफ्टी की फॉरवर्ड पी/ई वैल्यूएशन 20.8 गुना है, जबकि स्मॉलकैप की 23 गुना और मिडकैप की 33 गुना है। अब वैल्यूएशन बढ़ने की गुंजाइश नहीं रह जाने से अच्छे रिटर्न के बावजूद इनवेस्टर्स चिंतित दिख रहे हैं। इस बीच, निवेशकों की नजरें दूसरी तिमाही के कंपनियों के नतीजों पर है। पहली तिमाही में मुनाफे की ग्रोथ अनुमान के मुताबिक रही। लंबे समय के बाद निफ्टी की अर्निंग्स ग्रोथ हाई सिंगल डिजिट में रही। कंजम्प्शन में सुस्ती, प्राइवेट सेक्टर में कम पूंजीगत खर्च और सुस्त ग्लोबल रिकवरी का इसमें हाथ रहा।

अमेरिका में इंटरेस्ट रेट में कमी के बाद अब फोकस आरबीआई के कदमों पर है। हाल के महीनों में इनफ्लेशन में नरमी आई है। ऐसे में सवाल है कि क्या आरबीआई अक्टूबर की अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में इंटरेस्ट रेट में कमी करेगा? अभी इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है। उधर, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों का असर भी मार्केट पर पड़ेगा। अब तक मिडिलईस्ट और रूस-यूक्रेन में लड़ाई का ज्यादा असर ग्लोबल मार्केट पर नहीं पड़ा है। लेकिन, अगर मिडिलईस्ट की लड़ाई में बड़ी ताकतें कूदती हैं तो इसका असर मार्केट पर पड़ेगा।

स्टॉक मार्केट्स पर जब पीक पर हैं तो निफ्टी की एक साल की फॉवर्ड वैल्यूएशन के विश्लेषण से कुछ अलग तरह के संकेत मिलते हैं। हालांकि, मौजूदा वैल्यूएशन लंबी अवधि के 20.4 गुना की वैल्यूएशन से ज्यादा है। बॉन्ड्स यील्ड और अर्निंग्स यील्ड के बीच का 2.06 फीसदी का फर्क पिछले 10 साल में 2.4 फीसदी के औसत फर्क से कम है। इससे यह पता चलता है कि निफ्टी में अभी तेजी की गुंजाइश है। लेकिन, अगर कोई निगेटिव खबर आती है तो मार्केट में गिरावट आ सकती है। लेकिन, स्ट्रॉन्ग घरेलू लिक्विडिटी और राजनीतिक स्थिरता को देखते हुए यह गिरावट ज्यादा नहीं होगी।

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