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Alkem Lab के प्रमोटर बेचेंगे अपनी मेजॉरिटी हिस्सेदारी? JB Chemicals के लिए बोली में सबसे आगे, दोनों का क्या है कनेक्शन?

Alkem Lab Share Price: एल्केम लैब के प्रमोटर्स कंपनी में अपनी हिस्सेदारी हल्की कर रहे हैं। प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी इसलिए हल्की कर रहे हैं ताकि कंपनी के बोर्ड में एक प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर को शामिल किया जा सके। शेयरों की यह बिक्री ऐसे समय में होने वाली है, जब यह केकेआर के निवेश वाली फार्मा कंपनी जेबी केमिकल्स एंड फार्मा को खरीदने के लिए बोली लगा रही है। मनीकंट्रोल ने इससे पहले 12 सितंबर को जानकारी दी थी कि एल्केम के प्रमोटर्स सिंह फैमिली प्राइवेट इक्विटी फंडों को नियंत्रण वाली यानी 50 फीसदी से अधिक भी हिस्सेदारी देने के लिए तैयार हैं। प्रमोटर्स के पास कंपनी की 56.38 फीसदी हिस्सेदारी है।

शेयरों की बात करें तो आज BSE पर इसके शेयर 3.38 फीसदी की बढ़त के साथ 6249.85 रुपये के भाव पर बंद हुए। इंट्रा-डे में यह 3.53 फीसदी के उछाल के साथ 6259.00 रुपये पर पहुंचा था। पिछले हफ्ते 17 सितंबर 2024 को यह एक साल के हाई 6440 रुपये और पिछले साल 5 अक्टूबर 2023 को यह एक साल के निचले स्तर 3,440.05 रुपये पर था। जेबी केमिकल्स के शेयर 2.40 फीसदी की गिरावट के साथ 1894.05 रुपये पर बंद हुए हैं। पिछले महीने 16 अगस्त 2024 को यह एक साल के हाई 2,029.00 रुपये और पिछले साल 26 अक्टूबर 2023 को यह एक साल के निचले स्तर 1,246.05 रुपये पर था।

Alkem में हिस्सेदारी बेचना और JB Chemicals के लिए बोली, आपस में जुड़े हैं?

अधिग्रहण की बोली के तहत एल्केम चाहती है कि एक प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर के साथ उसकी केकेआर के मालिकाना हक वाली जेबी केमिकल्स एंड फार्मा में 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी हो जाए। मौजूदा भाव के हिसाब से जेबी केमिकल्स में केकेआर की 53.77 फीसदी हिस्सेदारी ककीब 180 करोड़ डॉलर यानी 15,500 करोड़ रुपये की है। केकेआर की हिस्सेदारी खरीदने के बाद पब्लिक के पास जो हिस्सेदारी है, उसमें से 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक ओपन ऑफर अनिवार्य रूप से लाना होगा जिसके चलते सौदे की वैल्यू करीब 260 करोड़ डॉलर की हो जाएगी।

जेबी केमिकल्स को खरीदने की दौड़ में एल्केम सबसे आगे है। हालांकि पिछले कुछ महीने से गुजरात का टोरेंट ग्रुप भी कई महीने से केकेआर से बातचीत कर रहा है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रमोटर के हिस्सेदारी की बिक्री और जेबी केमिकल्स के लिए बोली लगाना, जरूरी नहीं कि दोनों आपस में जुड़े हों। ऐसा भी हो सकता है कि प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी एल्केम में हल्की करें लेकिन वे जेबी केमिकल्स के लिए बोली जीत न पाएं।

देश की पांचवी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी है एल्केम फार्मा

एल्केम लैब देश की पांचवी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी है और इसका एंटी-इंफेक्टिव्स, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और दर्द से जुड़ी दवाईयों के साथ सप्लीमेंट में काफी दबदबा है। इसके अलावा कंपनी अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही है और इसमें डायबिटीज और क्रोनिक न्यूरो से जुड़ी, हार्ट से जुड़ी और स्किन से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए भी दवाईयां शामिल हैं। इसके भारत और अमेरिका में 19 मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटीज और आरएंडडी सेंटर्स हैं। भारत के अलावा इसकी अमेरिका, लैटिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कुछ एशियाई देशों में मौजूदगी है। भारत में इसकी मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स गुजरात, पुणे, दमन, बड्डी, इंदौर और सिक्कम में है।

वित्तीय सेहत की बात करें तो एल्केम का रेवेन्यू जून तिमाही में सालाना आधार पर 2.2 फीसदी उछलकर 3031.8 करोड़ रुपये और नेट प्रॉफिट 90.1 फीसदी उछलकर 535.2 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके रेवेन्यू में भारतीय कारोबार की हिस्सेदारी 2,022.3 करोड़ रुपये की थी। जून तिमाही में इसका EBITDA 56.4 फीसदी उछलकर 608.6 करोड़ रुपये पर पहुंचा और EBITDA मार्जिन भी 13.1 फीसदी से सुधरकर 20,1 फीसदी पर पहुंच गया।

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