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रिटर्न देने वाले बाजार को लंबे समय तक नजरअंदाज करना मुश्किल, भारत की तरफ फिर से लौट रहे विदेशी निवेशक

विदेशी फंड भारतीय शेयरों में पैसा लगा रहे हैं। इस साल की शुरुआत में चुनावों से जुड़ी अनिश्चितता के बाद 5 ट्रिलियन डॉलर के बाजार में मजबूत वापसी के संकेत है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस तिमाही में 8.5 बिलियन डॉलर की शुद्ध विदेशी खरीदारी हुई है। ये 2023 के मध्य के बाद होने वाली सबसे बड़ी खरीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में तीसरा कार्यकाल हासिल करने और कुछ ग्लोबल सूचकांकों में भारत के वेटेज के चीन से आगे निकलने के बाद देश में विदेशी निवेश के लिए माहौल काफी अनुकूल हो गया है। अमेरिकी दर कटौती से भी देश में विदेशी पैसे का प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है।

विदेशी निवेश में यह बढ़त भारत के इक्विटी वैल्यूएशन के साथ निवेशकों की बढ़ती सहजता का भी संकेत है। हालांकि भारतीय बाजार दूसरे उभरते बाजारों के साथ-साथ अपने स्वयं के एतिहासिक एवरेज की तुलना में महंगा है। इसके बावजूद देश का बेंचमार्क एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स नौवें साल में बढ़त के साथ बंद होने की ओर बढ़ रहा है।

सिंगापुर में एचएसबीसी ग्लोबल प्राइवेट बैंकिंग एंड वेल्थ में दक्षिण पूर्व एशिया और भारत के मुख्य निवेश अधिकारी जेम्स चेओ ने कहा, “महंगे वैल्यूएशन के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार दूसरे बाजारों की तुलना में आकर्षक बने हुए हैं। दूसरे बाजारों में भारत की तुलना में विकास की संभावनाएं कम हैं। भारत की ग्रोथ स्टोरी को मजबूत कॉर्पोरेट अर्निंग और अनुकूल आर्थिक स्थितियों का सपोर्ट हासिल है।”

भारत को ग्लोबल ग्रोथ का अगला इंजन माना जा रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था सरकार की तरफ से प्रोत्साहन की कमी, प्रॉपर्टी क्राइसिस और लगातार बने अपस्फीति दबावों के कारण लड़खड़ा रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को उम्मीद है कि भारत 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस का कहना है कि इस अवधि में भारत दुनिया भर के विकास में सबसे बड़ा योगदानकर्ता हो सकता है।

दक्षिण एशियाई राष्ट्र भारत का सकल घरेलू उत्पाद पिछली तिमाही में एक साल पहले की तुलना में 6.7 फीसदी बढ़ा है। हालांकि यह अनुमान से कुछ रहा लेकिन यह चीन के 4.7 फीसदी के आंकड़े से काफी ज्यादा रहा।

सितंबर में भारत में विदेशी निवेश बढ़त वाला लगातार चौथा महीना होने वाला है। अप्रैल-जून तिमाही में विदेशियों ने करीब 1 बिलियन डॉलर के शेयर बेचे थे। जून की शुरुआत में हुए चुनाव नतीजों में मोदी की पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रही, लेकिन गठबंधन सरकार बनाने और सत्ता में वापस आने के लिए उसने प्रमुख सहयोगियों से पर्याप्त समर्थन हासिल कर लिया।

MSCI इंडिया सूचकांक इस तिमाही में डॉलर के मुकाबले 7% चढ़ा है, जबकि उभरते बाजारों के इक्विटी का ब्रॉडर इंडेक्स लगभग 2 फीसदी बढ़ा है। भारतीय इंडेक्स लगातार छठी तिमाही में बढ़त की ओर अग्रसर है। हालांकि ये वन ईयर फॉरवर्ड वैल्यूएशन के आधार पर एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स से दोगुना महंगा है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि निफ्टी 50 इंडेक्स लगभग 21 गुना के गुणक पर कारोबार कर रहा है, जबकि इसका 10 साल का औसत 18 गुना है।

विदेशी पूंजी भी भारत के तेजी से बढ़ते प्राथमिक बाजार में रिटर्न की तलाश में है। भारत का प्राथमिक बाजार इस तिमाही में दुनिया का सबसे व्यस्त बाजार रहा। स्थानीय कंपनियां अर्थव्यवस्था की तेजी से लाभ उठाने की कोशिश कर रही हैं। इस वर्ष साल तमाम छोटी कंपनीयों के आईपीओ आए है। वहीं अब अरबों डॉलर के सौदे बाजार का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं।

मुंबई में केआर चोकसी शेयर्स एंड सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी का कहना है कि विदेशी निवेशक अब फिर से भारत की तरफ रुख कर रहे हैं। चीन की ओर हुआ झुकाव एक बार फिर विफल हो गया है और अब पैसा वापस वहीं आ रहा है जहां विकास हो रहा है।

सिंगापुर में स्मार्टसन कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड के फंड मैनेजर सुमित रोहरा का कहना है कि विदेशी निवेशकों की वापसी से पता चलता है कि रिटर्न देने वाले बाजार को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। एमएससीआई इंडेक्स में भी भारत का वजन काफी बढ़ गया है।

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