स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (SMEs) के IPOs की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन हाल में इनका रिटर्न सुस्त हो रहा है। पिछले एक एक महीने में SME IPO इंडेक्स नीचे कारोबार कर रहा है, जबकि पिछले दो हफ्तों में इसमें 8 पर्सेंट की गिरावट रही है। इसकी तुलना में बीएसई मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांक स्थिर रहा है। पिछले दो हफ्तों में इसमें भी कोई बढ़ोतरी नहीं देखने को मिली है।
खबर है कि सिक्योरटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) SMEs के IPO के लिए लिस्टिंग और अन्य नियमों को सख्त कर सकता है। इससे निवेशक सावधानी बरतने के मूड में हैं। दरअसल, सेबी ने पिछले महीने कहा था कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कुछ SME IPOs के तौर-तरीकों को लेकर निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है। रेगुलेटर का यह भी कहना था कि कुछ हालिया घटनाक्रमों से ऑडिटर्स, मर्चेंट बैंकर्स और यहां तक कि एक्सचेंजों द्वारा निगरानी में कमी का पता चलता है।
निवेशकों के लिए इस तरह का उत्साह नया नहीं है। 1990 के दशक में कई कंपनियों ने मेन बोर्ड से पैसे जुटाए और बाद में बिना कोई सबूत छोड़े गुम हो गए। यह बात शायद निवेशकों के दिमाग से मिट गई है। रेगुलेटर्स शायद मार्केट के इस सेगमेंट में इस तरह के घटनाक्रम को रोकना चाहते हैं। बहरहाल, SME IPOs की जिम्मेदारी एक्सचेंजों की होती है। IPOs और इनवेस्टर फंडों की संख्या में हर रोज बढ़ोतरी हो रही है।
प्राइम डेटाबेस के मुताबिक, कैलेंडर ईयर 2024 में SME के 194 IPOs के जरिये 6,500 करोड़ रुपये जुटाए गए, जबकि कैलेंडर ईयर 2021 में इस सेगमेंट की 59 कंपनियों ने 746 करोड़ रुपये जुटाए थे। बहरहाल, यह देखना बाकी है कि इस सेगमेंट में रिटर्न में गिरावट निवेशकों की कम हो रही भागीदारी का नतीजा है और क्या आगे भी यह ट्रेंड जारी रहेगा।