Voda Idea News: वित्तीय दिक्कतों से जूझ रही वोडाफोन आइडिया को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से करारा झटका लगा है। हालांकि कंपनी का कहना है कि डेट फंडिंग और कैपिटल एक्सपेंडिचर की योजना पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाए की फिर से गणना की इसकी याचिका को खारिज किया है जिससे इसे वित्तीय तौर पर भी झटका लगेगा। हालांकि कंपनी ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि बैंकों ने ही में इसका जो टेक्नो-इकनॉमिक एवैलुएशन (TEV) किया है, उसमें एजीआर से जुड़ी याचिका में कंपनी की याचिका के खिलाफ फैसला माना गया था।
एनालिस्ट्स का क्या मानना है?
वोडा आइडिया का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इसकी योजना पर कोई असर नहीं दिखेगा क्योंकि बैंक इसे मानकर चल रहे थे। हालांकि ब्रोकरेज फर्म नोमुरा के एनालिस्ट्स इससे सहमत नहीं हैं और उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कंपनी के डेट-फंडिंग प्लान में देरी हो सकती है और कैपेक्स प्लान पर भी निगेटिव असर दिख सकता है जिससे मार्केट में इसका दबदबा और कम हो सकता है। अगर कोर्ट का फैसला पक्ष में आया होता तो वोडा आइडिया की वित्तीय सेहत में सुधार होता और कॉम्पटीटर्स से लड़ाई में इसकी क्षमता भी मजबूत होती। अब इसे राहत नहीं मिली है तो वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही से कैलेंडर वर्ष 2027 तक इसे वित्तीय दिक्कतें झेलनी पड़ सकती है। यह सरकार को सालाना स्पेक्ट्रम और एजीआर पेमेंट्स की डेडलाइन भी है। इसे 500 करोड़ डॉलर चुकाना है।
ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज ग्रुप मैक्वायरी के एनालिस्ट्स का कहना है कि वोडाफोन आइडिया का टैरिफ आउटलुक सुधर रहा है लेकिन AGR छूट के बिना, कंपनी को अपनी बकाया राशि चुकाने में सालाना 15 फीसदी के ARPU (प्रति यूजर एवरेज रेवेन्यू) के हिसाब से 30 वर्ष तक का समय लग सकता है। ऐसे में मैक्वायरी का मानना है कि बकाया चुकाने की डेडलाइन आगे बढ़ाई जानी चाहिए।
अब आगे क्या?
वोडा आइडिया 240 करोड़ डॉलर इक्विटी के जरिए जुटा चुकी है और अब 400 करोड़ डॉलर डेट फंडिंग का इंतजाम कर रही है। अब सुप्रीम कोर्ट के झटके के बाद एनालिस्ट्स का मानना है कि इसकी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि कंपनी ऐसा नहीं मानती है। कंपनी के एक स्रोत ने कहा कि फैसला पक्ष में आया होता तो यकीनन इससे काफी मदद मिलती लेकिन अब फैसला पक्ष में नहीं आया हो तो भी इसका कंपनी की डेट फंडिंग और कैपेक्स प्लान पर कोई असर नहीं होगा। कंपनी ने तीन साल में 55 हजार करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर योजना बनाई है जिसे डेट और इक्विटी के जरिए जुटाया जाएगा। कंपनी का कहना है कि नियर टर्म के कैपेक्स की जरूरतों के लिए पहले ही यह पर्याप्त पूंजी जुटा चुकी है।
नोमुरा का मानना है कि अब कंपनी के लिए कर्ज जुटाना मुश्किल हो सकता है। कॉम फर्स्ट (इंडिया) के डायरेक्टर महेश उप्पल का कहना है कि सरकार को मामले की समीक्षा करनी चाहिए और हस्तक्षेप करना चाहिए, अन्यथा वोडाफोन आइडिया संकट में पड़ सकता है और ऐसी स्थिति से टेलीकॉम सेक्टर को झटका लग सकता है।