Edible Oil News:सरकार ने खाने के तेल कंपनियों को निर्देश दिए है कि कंपनियां खाने के तेल की कीमतों में इजाफा ना करें। सरकार ने मार्केट पार्टिसिपेंट्स के साथ बैठक की है जिसमें तेल कंपनियों के खाने के तेल के दाम न बढ़ाने के निर्देश दिए है। बता दें कि सरकार ने हाल ही में खाने के तेल की ड्यूटी बढ़ाई है। सरकार द्वारा बढ़ाई गई खाने के तेल की ड्यूटी 14 सितंबर लागू की गई है।
बता दें कि सरकार की यह बैठक SEA, IVPA और SOPA के साथ हुई है।
दरअसल सरकार की तेल कंपनियों के सामने दलील दी है कि खाने के तेल का कम, ड्यूटी फ्री इंपोर्ट हुआ। अभी सरकार के पास मौजूदा स्टॉक कम से कम 40-45 दिनों तक चलेगा। जिसके चलते कंपनियों को कीमतों में बढ़ोतरी करने की अभी कोई जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि कच्चे और रिफाइंड ऑयल पर कस्टम ड्यूटी 20% बढ़ी है। क्रूड पाम ऑयल पर ड्यूटी 0% से बढ़ाकर 20% हुई है। वहीं क्रूड एडिबल ऑयल पर ड्यूटी 5.5% से बढ़ाकर 27.5% की गई। सोयाबीन, सनफ्लॉवर ऑयल पर ड्यूटी 12.5% से बढ़कर 32.5% हुई जबकि रिफाइंड एडिबल ऑयल पर ज्यूटी 13.75% से बढ़ाकर 35.75% हुई।
एक्सपर्ट्स की राय
SEA प्रेसिडेंट अजय झुनझुनवाला ने सीएनबीसी-आवाज से बात करते हुए कहा कि सरकार की बैठक काफी अच्छी रही। सरकार ने ऑयल कंपनियों से लोगों को हितों का ध्यान रखने को कहा है। नीति आयोग के सुझाव पर सरकार ने ड्यूटी बढ़ाई है। मौजूदा समय में 18-20 मिलियन टन खाने का तेल इंपोर्ट हो रहा है। देश में खाने के तेल की कोई कमी नहीं है। अजय झुनझुनवाला ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने चाहती है। हर महीने खाने के तेल का 12-15 लाख टन इंपोर्ट हो रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि अगले 10-15 दिन बाद ये तय होगा कि दाम कहां जाएगे। इंटरनेशनल मार्केट में खाने के तेल के दाम 1 साल में 100 डॉलर बढ़े है।
SOPA के ईडी डी.एन. पाठक ने कहा कि किसानों की आय बढ़े और तेल के दाम न बढ़े ऐसा संभव नहीं है। सरकार किसानों को तिलहन की MSP दिलाना चाहती है। ड्यूटी घटने या बढ़ान का असर तुरंत नहीं दिखाई देता है।