Stock Markets in 10 Years of PM Modi: पीएम मोदी की अगुआई वाली नई सरकार के 100 दिन पूरे होने वाले हैं। इस मौके पर आइए जानते हैं कि पिछले 100 दिन में ही नहीं, बल्कि मोदी सरकार के अबतक के पूरे कार्यकाल में शेयर बाजार का कैसा प्रदर्शन रहा है। मोदी सरकार की नीतियों ने कैसे शेयर बाजार को नए रिकॉर्ड हाई पर पहुंचाया? बीएसई सेंसेक्स पिछले 10 सालों में 24,000 से बढ़कर 83,000 पर पहुंच गया है। हालांकि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत शेयर बाजार ने भारी गिरावट के साथ की थी। लोकसभा चुनाव नतीजों के दिन बीजेपी को बहुमत से दूर होता देखकर शेयर बाजार में कोहराम मच गया था। निवेशकों के करीब 30 लाख करोड़ रुपये एक दिन में डूब गए थे। लेकिन फिर एनडीए सरकार बनता देख बाजार ने अगले ही दिन वापसी कर ली और अब तो सेंसेक्स ने 83,000 के स्तर को पार कर लिया है।
बीएसई सेंसेक्स ने पिछले 10 सालों में 225% से अधिक का रिटर्न दिया है। इस दौरान इंडेक्स ने 24,000 से 83,000 अंक का सफर तय किया है। 2014 में 16 मई को जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए, तब सेंसेक्स कारोबार के दौरान 1470 अंक उछलकर पहली बार 25,000 का आंकड़ा पार किया था। हालांकि बाद में कारोबार खत्म होते समय यह 216 अंक बढ़कर 24,121 पर बंद हुआ। तब से सेंसेक्स ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की आज यह 83,000 अंक के करीब पहुंच गया। एक दिन पहले ही 12 सितंबर को सेंसेक्स ने पहली बार 83,000 का स्तर पार कर नया ऑलटाइम हाई छुआ।
इस दौरान सेंसेक्स के अहम पड़ावों पर एक नजर डाल लेते हैं-
– 26 अप्रैल 2017 को Sensex ने पहली बार 30,000 का स्तर पार कर लिया.
– फिर 3 जून 2019 को यह 40,000 के पार चला गया.
– सेंसेक्स 3 फरवरी 2021 को पहली बार 50,000 के स्तर पर पहुंचा
– इसके बाद 24 सितंबर 2021 को पहली बार सेंसेक्स 60हजारी बना
– फिर 14 दिसंबर 2023 को इसने पहली बार 70,000 का स्तर छुआ
यह साल 2024 भी शेयर बाजार के लिए बेमिसाल रहा है। 15 जनवरी, 2024 को सेंसेक्स ने पहली बार 73,000 के नए उच्च स्तर को छुआ। फिर 6 मार्च 2024 को इसने 74,000 के लेवल को पार किया। फिर अगले ही महीने यह 75,000 पर पहुंच गया। इस साल 3 जुलाई को सेंसेक्स ने पहली बार 80,000 के स्तर को पार किया।
शेयर बाजार की इस शानदार तेजी के पीछे मोदी सरकार की कई नीतियों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से अपनी भूमिका निभाईं। सबसे अहम योगदान रहा, डिजिटलाइजेशन का। आज शेयर बाजार में निवेश करना मिनटों का काम है। बस अपना स्मार्टफोन निकालिए और कुछ ऐप डाउनलोड करिए, डिजिटल केवाईसी करिए और फिर हो गया। आपका डीमैट खाता खुल गया। इस सुविधा के चलते आज शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी कई गुना बढ़ गई है। यहां तक अब ये रिटेल निवेशक मिलकर बड़े निवेशकों को भी टक्कर देने लगे हैं। पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार में जो तेजी आई है, उसमें इन रिटेल निवेशकों का सबसे अहम योगदान रहा।
इसके अलावा मोदी सरकार ने अपने शानदार गवर्नेंस के चलते सरकारी कंपनियों यानी पीएसयू स्टॉक को भी फोकस में ला दिया है। आज इंफ्रा, रिटेल, रेलवे, डिफेंस और पावर सहति तमाम सेक्टर में यह PSU स्टॉक तेजी के साथ अगुआई कर रहे हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स आगे भी इन शेयरों को लेकर बुलिश हैं।
ऐसा नहीं है कि इस दौरान शेयर बाजार के सामने कोई चुनौती नहीं आई। याद करिए कोरोना महामारी का वो काल, जब भारत सहित पुरी दुनिया की इकोनॉमी ठप हो गई थी। सेंसेक्स और निफ्टी 30 फीसदी से ज्यादा गिर गए थे। प्राइवेट कंपनियों ने खर्च से हाथ खींच लिए थे। लेकिन इस समय भी सरकार एक बार फिर ढाल बनकर ऊभरी। मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ के भारी भरकम पैकेज का ऐलान किया। PLI सहित तमाम स्कीमों के जरिए देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया। सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपना खर्च बढ़ाकर इकोनॉमी को सहारा दिया। इसके चलते शेयर बाजार को संभलने में मदद मिली और इसने न सिर्फ अपने पुराने स्तर को वापस छुआ, बल्कि अपना नया ऑलटाइम हाई बनाया।
सबसे खास बात यह है कि शेयर बाजार में आई यह तेजी बस एक-दो सेक्टर या थीम से जुड़ी हुई नहीं रही, बल्कि चौतरफा मुनाफा बनता दिखा। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्सों ने तो रिटर्न के मामले में सेंसेक्स और निफ्टी को भी पीछे छोड़ दिया। इसके चलते छोटे निवेशकों को भारी लाभ हुआ।
इस तरह पीएम मोदी के 10 साल के कार्यकाल में सेंसेक्स 3 गुना बढ़कर 25,000 से 83,000 तक पहुंचा गया है। इस 10 साल में बीएसई में लिस्टेड सभी शेयरों का मार्केट कैप कई गुना बढ़कर करीब 5.4 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। इसके साथ ही भारत अब अमेरिका, चीन, जापान और हांगकांग के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है। अब देखना होगा कि क्या सेंसेक्स मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में 1 लाख का बहुप्रतीक्षित आंकड़ा पार कर पाता है या नहीं।