कुछ बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन IPO में निवेश के लिए लोन देते हैं। ऐसे लोन को आम तौर पर IPO फाइनेसिंग या IPO फंडिंग कहा जाता है। हालांकि, आप ऐसे लोन हासिल कर सकते हैं या नहीं, यह कई चीजों पर निर्भर करता है, मसलन आपकी क्रेडिट लेने की क्षमता, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की लेंडिंग पॉलिसी और लोन की शर्तें। बहरहाल, इस तरह का लोन लेने से पहले इससे जुड़ी शर्तों और जोखिम को समझना बेहद जरूरी है।
IPO के जरिये प्राइवेट कंपनियां लोगों को शेयर ऑफर करती हैं। यह किसी कंपनी की यात्रा में बेहद अहम घटनाक्रम होता है, क्योंकि इसके जरिये किसी कंपनी की स्टॉक मार्केट में एंट्री होती है। भारत में किसी IPO में निवेश कर निवेशक प्रॉफिट कमा सकते हैं, अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं और निवेश के नए अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि, किसी भी IPO में निवेश करने से पहले उसके बारे में सही रिसर्च और ड्यू डिलिजेंस करना जरूरी होता है, ताकि कंपनी के फंडामेंटल्स, ग्रोथ, संभावनाओं और वैल्यूएशन के बारे में पता चल सके। IPO का आकलन सावधानी से करें और ऊंची ब्याज दर पर लोन लेने से पहले अन्य विकल्पों पर भी गौर करें।
IPO ऐप्लिकेशन के लिए लोन कई बैंक और ब्रोकरेज फर्में IPO फाइनेसिंग के विकल्प उपलब्ध कराती हैं। आप IPO की वैल्यू का कुछ हिस्सा उधार पर ले सकते हैं और फिर लोन चुकाने की अवधि कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक की होती है। इस तरह का लोन उपलब्ध कराने में SBI (State Bank of India) और बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) शामिल हैं।