इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने हाल में टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया के लिए ‘सेल’ रेटिंग बरकरार रख सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि, जब वोडाफोन के हालिया FPO डॉक्युमेंट्स की पड़ताल की गई, तो इससे पता चला कि गोल्डमैन सैक्स टेलीकॉम कंपनी के ऑफर में एंकर इनवेस्टर के तौर पर शामिल हुई थी। सवाल यह है कि इससे क्या पता चलता है?
गोल्डमैन सैक्स ने 6 सितंबर को टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया के लिए ‘सेल’ रेटिंग की पुष्टि की थी। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी पूंजी जुटाने के अपने हालिया अभियान के बावजूद मार्केट शेयर में अपनी गिरावट को रोक नहीं पाएगी। ब्रोकरेज फर्म ने वोडाफोन आइडिया को लेकर अपने प्राइस टारगेट में मामूली बढ़ोतरी की थी यानी इसे 2.2 रुपये प्रति शेयर से बढ़ाकर 2.5 रुपये प्रति शेयर कर दिया था।
कंपनी के स्टॉक प्राइस में गिरावट के बाद इंटरनेट पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही थीं। निवेशकों ने वोडाफोन के हालिया फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर के एंकर बुक को देखा, जहां गोल्डमैन सैक्स फंड ने 11 रुपये के भाव से 81.83 लाख शेयरों के लिए बिडिंग की थी। ऐसे में हम यहां समझने की कोशिश करते हैं कि क्या इस तरह के ट्रांजैक्शंस पर रेगुलेटर को आपत्ति जतानी चाहिए? इसका जवाब है-नहीं।
दरअसल, जो विदेशी निवेशक भारत के बाजार में अपना निवेश बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर (FPI) के तौर पर जुड़ने के झंझट में नहीं पड़ना चाहते, वे ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODIs) का इस्तेमाल करते हैं। ये ODI, फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स द्वारा जारी किए जाते हैं, जो आम तौर पर ऐसे स्टॉक खरीदते हैं, जिनका प्रतिनिधित्व ODI करता है। गोल्डमैन सैक्स ऐसा ही एक FPI है, जो विदेशी निवेशकों को अपना पैसा भारतीय बाजारों में निवेश करने में मदद करता है।
यहां यह याद रखना जरूरी है कि ये डेरिवेटिव इंस्ट्रुमेंट्स हैं और विदेशी निवेशक वास्तव में सीधे तौर पर इन शेयरों को नहीं खरीद रहे हैं। लिहाजा, गोल्डमैन सैक्स के प्रवक्ता का कहना है कि ब्रोकरेज फर्म FPO में शामिल होकर क्लाइंट की तरफ से ट्रेड कर रही थी, न कि अपनी इकाई के लिए शेयरों की खरीद में शामिल थी। फर्म की रिसर्च इकाई जो काम करती है, वह बिल्कुल अलग है।’