दुनियाभर की इंडस्ट्री में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की डिमांड और दाम भी तेजी से बढ़ रहे हैं। 5जी, टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक व्हीकल, सोलर पैनल और मेडिकल डिवाइसेज में चांदी का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
HDFC सिक्युरिटीज के कमोडिटीज हेड अनुज गुप्ता कहते हैं कि इससे चांदी की वैश्विक सप्लाई कम पड़ गई है। हालिया वर्ल्ड सिल्वर सर्वे के मुताबिक, लगातार पांचवें साल डिमांड के मुकाबले चांदी की सप्लाई में कमी देखी जा रही है। 2023 में डिमांड की तुलना में 4,026 टन चांदी की कमी थी। 2024 में इंडस्ट्रियल डिमांड की वजह से मांग की तुलना में चांदी की 7,513 टन कम सप्लाई की आशंका है। ऐसे में 2024 के आखिर तक चांदी 90 हजार रुपए/किलो तक जा सकती है, जो अभी 83,338 रुपए पर हैं।
6 बड़े कारण, जिनके चलते चांदी के दाम तेजी से बढ़ सकते हैं
1. इंडस्ट्री: चांदी का इस्तेमाल 11% बढ़कर 20 हजार टन दुनियाभर में कुल खपत में चांदी का इंडस्ट्रियल इस्तेमाल 50% पहुंच गया है। 2023 में इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल, ऑटो में डिमांड 11% बढ़कर 20,353 टन रही थी।
2. सौर पैनल: 2 वर्ष में दोगुना तक बढ़ सकता है इस्तेमाल सौर पैनल में चांदी का इस्तेमाल 2025 तक दोगुना होने का अनुमान है। 2023 में 5485 टन चांदी सौलर पैनल में खपी थी, 2022 से करीब 20% अधिक थी।
3. ऑटो: ईवी में सालाना 5,250 टन चांदी की खपत इलेक्ट्रिक वाहनों में चांदी की खपत तेजी से बढ़ रही है। बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ने के कारण 2025 तक ऑटो सेक्टर में डिमांड 5,250 टन तक पहुंचने के आसार हैं।
4.ज्वेलरी: सोना महंगा होने पर चांदी के गहने ज्यादा बिकते हैं 2023 में चांदी के गहनों की मांग 5,655 टन रही थी। सोने की कीमत बढ़ने से चांदी की ज्वेलरी की मांग तेजी से बढ़ती है। ऐसे में इस क्षेत्र में भी डिमांड बढ़ने की संभावना है।
5. बड़े देशों में तनाव: युद्ध के दौर में लोग रिजर्व बढ़ा रहे रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध के चलते अनिश्चितता बढ़ रही है। इसकी वजह से दुनियाभर के अमीर और केन्द्रीय बैंक सोने-चांदी का रिजर्व बढ़ा रहे हैं।
6. फेडरल रिजर्व: ब्याज दरें घटने से और बढ़ेगी डिमांड 2008 के बाद अमेिरका में पहली बार ब्याज दरों में कटौती तय है। इससे इंडस्ट्री को सस्ता लोन मिलेगा। ग्रोथ बढ़ेगी, जिससे चांदी की खपत और तेज होगी।
चांदी बेहतरीन इलेक्ट्रिक कंडक्टर, न गलती है, न शॉर्ट होती है, इसलिए बढ़ रही मांग अनुज गुप्ता कहते हैं कि चांदी का कोई विकल्प नहीं है। ये इलेक्ट्रिक कंडक्टर बहुत अच्छा है। टीवी,मोबाइल में इस्तेमाल हो रहा है। मेडिकल उपकरणों में इस्तेमाल होता है। जंग नहीं लगता है। इसकी लाइफ अन्य इलेक्ट्रिक कंडक्टर के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है। चांदी न तो गलती है और न शॉर्ट होती है। यह खूबी चांदी को एक सर्वोत्तम ऊर्जा स्टोरेज टेक सुपरस्टार बनाती है। इसका अल्टरनेटिव नहीं है।
1.5 लाख रुपए प्रति किलो तक जा सकती है चांदी की कीमत केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि दुनियाभर की इंडस्ट्री में चांदी की खपत बढ़ रही है। लेकिन डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम है। इसकी वजह यह है कि 10-12 साल चांदी चली ही नहीं, तो माइंस की लागत बढ़ गई। उत्पादन कम हुआ।
अभी बढ़ते इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेट, चांदी में बढ़ते निवेश और बड़े देशों के बीच बढ़ते तनाव से भी डिमांड बढ़ रही है। भारत में आयात 3 गुना बढ़ा है। इसकी वजह से सितंबर 2025 तक दाम 1.25-1.5 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकते हैं।