अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रिक कारों और बैटरियों के निर्माण की योजना पर विचार कर रही है। कंपनी ने अपनी योजनाओं को अमल में लाने के लिए चीन की बीवाईडी कंपनी के पूर्व भारतीय हेड को काम पर रखा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक कंपनी ने प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 वाहनों की क्षमता वाले ईवी प्लांट की स्थापना के लिए बाहरी एडवाइजर्स को नियुक्त किया है। कंपनी आने वाले कुछ वर्षों में 7,50,000 तक वाहन बनाने पर काम करेगी। सूत्र ने कहा कि कंपनी 10 गीगावाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) क्षमता से शुरू होने वाले और एक दशक तक बढ़ने वाले बैटरी प्लांट के निर्माण की व्यवहार्यता पर भी विचार कर रही है। हालांकि, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपनी योजनाओं पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। सूत्रों के मुताबिक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर भी चीनी कंपनियों समेत साझेदारों की तलाश कर रही है और कुछ महीनों के भीतर अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
मुकेश अंबानी भी हैं रेस में
बता दें कि अनिल अंबानी एशिया के सबसे अमीर अरबपति रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं। मुकेश की कंपनी पहले से ही स्थानीय स्तर पर बैटरी बनाने के लिए काम कर रही है और इस सप्ताह 10 गीगावॉट बैटरी सेल उत्पादन को सरकार की ओर से सब्सिडी के लिए बोली जीती है। अगर अनिल अंबानी का समूह अपनी योजनाओं को अमल में लाता है तो मुकेश अंबानी को चुनौती मिल सकती है।
तैयारी में रिलायंस इंफ्रा
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जून में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने ऑटोमोबाइल से संबंधित दो नई पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों का गठन किया है। इनमें से एक का नाम रिलायंस ईवी प्राइवेट लिमिटेड है। रिलायंस इंफ्रा के शेयर की बात करें तो यह 1.55% चढ़कर 213.10 रुपये पर बंद हुआ। 4 अप्रैल 2024 को शेयर 308 रुपये पर था। यह शेयर के 52 हफ्ते का हाई है।
भारत में इलेक्ट्रिक कार का बाजार
आपको बता दें कि पिछले साल भारत में बेची गई 4.2 मिलियन कारों में इलेक्ट्रिक मॉडल की हिस्सेदारी 2% से भी कम थी लेकिन सरकार 2030 तक इसे 30% तक बढ़ाना चाहती है। इसने स्थानीय स्तर पर ईवी और उनके घटकों का निर्माण करने वाली कंपनियों के लिए प्रोत्साहन में 5 बिलियन डॉलर से अधिक का बजट रखा है। भारत में बैटरी निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन एक्साइड और अमारा राजा जैसे कुछ स्थानीय निर्माताओं ने देश में लिथियम-आयन बैटरी सेल बनाने की तकनीक के लिए चीनी कंपनियों के साथ समझौता किया है।