Bajaj Housing Finance IPO: क्या बजाज हाउसिंग फाइनेंस अगला HDFC बन सकता है? यह सवाल खुद कंपनी के चेयरमैन के एक बयान से आया है। बजाज हाउसिंग फाइनेंस का IPO 9 सितंबर को खुलने वाला है। यह देश की दूसरी सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है। ऐसे में निवेशक इस आईपीओ से काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। फिर चाहे वो मजबूत लिस्टिंग गेन की उम्मीद हो या फिर लिस्टिंग के बाद अगला बड़ा मल्टीबैगर बनने की उम्मीद। शेयर बाजार में पिछले कुछ समय से जैसा उत्साह का माहौल है उसे देखते हुए इन उम्मीदों को गलत ठहराना भी मुश्किल है। आज के इस वीडियो में हम इसी आईपीओ पर बात करेंगे और जानेंगे कि क्या बजाज हाउसिंग फाइनेंस की वित्तीय सेहत और ग्रोथ संभावनाएं इसे HDFC जैसी बड़ी कंपनी बनने में मदद कर सकती हैं।
बजाज हाउसिंग फाइनेंस की सबसे अच्छी बात यह है कि कंपनी के पास मुनाफे में रहने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है और यह अपनी रणनीति के चलते एक बेहद कॉम्पिटीशन वाले मार्केट में भी लगातार ग्रोथ कर रही है। इसकी पैरेंट कंपनी, बजाज फाइनेंस है, जो देश की सबसे बड़ी NBFC कंपनियों में से एक है। NBFC मतलब नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी। यह इतनी बड़ी कंपनी है कि इसकी बैलेंस-शीट को देखकर कई बैंकों को भी रश्क होता है। अब यह अपनी सब्सिडियरी बजाज हाउसिंग का IPO लेकर आई है और पूरी संभावना है कि इस आईपीओ को सभी कैटेगरी के निवेशकों से मजबूत रिस्पॉन्स मिलेगा।
Bajaj Housing Finance के पास ₹97,000 करोड़ का AUM
IPO डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, बजाज हाउसिंग के पास करीब 97,000 करोड़ रुपये का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट है और पिछले 5 सालों में यह सालाना 29 फीसदी की दर से बढ़ा है। इसके अलावा, इसका नेट प्रॉफिट भी इस दौरान सालाना 33% की दर से बढ़ा है, जो बताता है कि कंपनी उधार दिए हर दिए रुपये पर उससे अधिक मुनाफा कमा रही है। कंपनी के पास अपनी शाखाओं का एक मजबूत नेटवर्क है, लोन डिस्ट्रिब्यूशन इसने कई पार्टनर्स के साथ समझौते किए हैं और डिजिटल चैनलों पर भी इसकी मजबूत उपस्थित है। यह सब मिलकर कंपनी की ग्रोथ को ताकत देते हैं।
Bajaj Housing Finance की चुनौतियां
हालांकि इस सबके बावजूद कंपनी के सामने कई चुनौतियां भी हैं। बजाज हाउसिंग का नेट इंटरेस्ट मार्जिन्स हालिया जून तिमाही में कुछ कमजोर हुआ है। इसका क्रेडिट लागत बाकी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की तुलना में कम है। हालांकि इसके वावजूद निकट भविष्य में इसके मार्जिन के बेहतर होने की संभावना कम है। इसका कारण यह है कि कंपनी ने अपनी अधिकतर उधारी कम क्रेडिट-रिस्क वाले ग्राहकों को दी हुई है। इसके अलावा इसकी क्रेडिट लागत पहले ही इंडस्ट्री में सबसे कम है। ऐसे में उसमें और कमी की गुंजाइश कम है। इसका मतलब है कि रिटर्न रेशियो में और विस्तार की संभावना सीमित है।
बजाज हाउसिंग बनाम LIC हाउसिंग
अब बात करते हैं कि कंपनी इंडस्ट्री में अपने समकक्ष वाली बाकी कंपनियों के मुकाबले किस पोजिशन में है। शेयर बाजार में फिलहाल इसकी तुलना LIC हाउसिंग फाइनेंस से की जा रही है। हालांकि एसेट क्वालिटी के मामले में बजाज हाउसिंग, LIC हाउसिंग फाइनेंस से मीलों आगे है और इसका लोन बुक भी कहीं बेहतर डायवर्सिफाई है। फिर भी, LIC हाउसिंग के स्टॉक की वैल्यूएशन 10 साल के औसत से कम है, जो इसे एक अच्छा निवेश विकल्प बनाता है।
बजाज हाउसिंग का प्राइस बैंड 66 से 70 रुपये है। अपर प्राइस बैंड पर, इसकी वैल्यूएशन साढ़े 58,000 करोड़ रुपये आती है। इस वैल्यूएशन पर मैक्विरी के एनालिस्ट्स ने इसका प्राइस-टू-बुक मल्टीपल 2.6 गुना बताया है। यह इसे LIC हाउसिंग और PNB हाउसिंग फाइनेंस के शेयर से भी महंगा बना देता है, लेकिन बाकी अफोर्डेबल हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के मुकाबले यह सस्ता है।
HDFC से क्यों हो रही है तुलना?
हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में, अब से पहले इतने महंगे वैल्यूएशन पर सिर्फ HDFC के शेयर ने कारोबार किया है। हालांकि अब इस कंपनी का HDFC बैंक में मर्जर हो गया है। बजाज ग्रुप के चेयरमैन का मानना है कि बजाज हाउसिंग फाइनेंस के पास अगली HDFC बनने की क्षमता है। इसके लिए कंपनी को हर तिमाही में इंडस्ट्री से बेहतर ग्रोथ, बेहतरीन एसेट क्वालिटी और स्थिर मार्जिन्स दिखाने होंगे।
कंपनी ने अपने कारोबार के पहले 7 सालों में अच्छी रणनीति दिखाई है। हालांकि आगे बढ़ने के लिए इसके एक ऐसे हाउसिंग लोन मार्केट की भी जरूरत होगी, जो हर साल दोहरे अंकों में। साथ ही उधारकर्ता भी ऐसे हों, जो समय से कर्ज चुकाएं और डिफॉल्ट न करें।
Bajaj Housing Finance: ग्रोथ की भविष्य की संभावनाएं
कुल मिलाकर, बजाज हाउसिंग फाइनेंस की भविष्य की संभावनाएं काफी उत्साहजनक हैं। हाउसिंग लोन मार्केट में भी हाल में सुधार देखा गया है, खासतौर से प्राइम सेगमेंट में। कंपनी जिन होम लोन को टारगेट कर रही हैं, उनमें क्रेडिट जोखिम कम है। हालांकि इस सेगमेंट में मुनाफा बढ़ाने के लिए पहले से अधिक एफिशियंसी के साथ काम करना होगा। साथ ही इसे अपनी क्रेडिट लागत पर भी लगातार पकड़ बनाए रखने की जरूरत होगी।
बजाज हाउसिंग का आईपीओ और उसकी वित्तीय सेहत इसे एक बड़ा नाम बनने के लिए तैयार कर रही हैं। हालांकि, यह सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कंपनी अपने बैलेंस शीट पर कितनी तेजी से ग्रोथ करती है और बाजार में अपनी स्थिति को कैसे मजबूत करती है।
– अपर्णा अय्यर, मनीकंट्रोल प्रो