मिडकैप शेयरों में 2020 में आई बड़ी गिरावट के बाद से तेजी जारी है। इन शेयरों का प्रदर्शन लार्जकैप शेयरों के मुकाबले बेहतर रहा है। कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद मार्केट में आए नए निवेशकों ने फिनटेक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल मिडकैप स्टॉक्स में निवेश के लिए किया है। मार्केट में शेयरों की सीमित फ्लोट होने की वजब से कई मिडकैप स्टॉक्स की कीमतें आसमान में पहुंच गई हैं। इस बारे में कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने एक रिपोर्ट जारी की है। उसने रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 12-18 महीनों में मिडकैप शेयरों में आई तेजी की वजह इन कंपनियों की तेज ग्रोथ के साथ ही इन शेयरों को लेकर ज्यादा चर्चा है।
कोटक ने अपनी रिपोर्ट में मिडकैप शेयरों के बारे में दिलचस्प बात बताई है। उसने कहा है कि Nifty Midcap 150 Index के शानदार प्रदर्शन में कुछ चुनिंदा शेयरों का बड़ा हाथ रहा है। बीते एक साल में इंडेक्स के रिटर्न में सिर्फ 25 शेयरों की करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी रही है। इस तेजी की बदौलत कई कंपनियों के नाम सुर्खियों में आए हैं। इस रिपोर्ट में कहा है कि कुछ मिडकैप शेयरों को कंपनियों के स्ट्रॉन्ग फंडामेंटल्स का फायदा मिला है, लेकिन ज्यादातर शेयरों में तेजी की वजह मिडकैप शेयरों को लेकर निवेशकों का उत्साह है।
मिडकैप इंडेक्स के प्रदर्शन में कुछ कंपनियों की बड़ी भूमिका का मतलब यह है कि ज्यादातर मिडकैप फंडों का प्रदर्शन इंडेक्स के मुकाबले कमजोर है। पिछले तीन साल में करीब 80 फीसदी मिडकैप फंडों ने अपने बेंचमार्क के मुकाबले कम रिटर्न दिए हैं। 25 मिडकैप फंडों में 20 का रिटर्न बेंचमार्क से कम रहा है। बिल्डिंग मैटेरियल, अपैरल और फुटवियर रिटेलिंग, क्विक सर्विस रेस्टॉरेंट्स और स्पेशियिलिटी केमिकल कंपनियों का प्रदर्शन पिछले 18 महीनों में कमजोर रहा है। इस इंडेक्स के 150 स्टॉक्स में 36 ने इस दौरान 10 फीसदी से कम रिटर्न दिया है।
स्मॉलकैप फंडों का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है। इस कैटेगरी के 74 फीसदी फंडों ने अपने बेंचमार्क से कम रिटर्न दिए हैं। 23 फंडों में से 17 का रिटर्न बेंचमार्क से कम रहा है। स्मॉलकैप इंडेक्स में शामिल 150 शेयरों में से 61 ने 50 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है। 42 ने 20-50 फीसदी तक रिटर्न दिया है। 11 का रिटर्न 10-20 फीसदी के बीच रहा है। 18 का रिटर्न 0-10 फीसदी तक रहा है। बाकी 18 का रिटर्न निगेटिव रहा है।
कोटक की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ चर्चा की वजह से किसी शेयर में लंबे समय तक तेजी जारी नहीं रह सकती। कम रिटर्न देने वाले शेयरों में कई ऐसे शेयर शामिल हैं, जो कभी काफी चर्चा में थे। लेकिन, इन कंपनियों के बिजनेस का प्रदर्शन शेयरों में आई तेजी के मुताबिक नहीं रहा। इस वजह से इनकी कीमतों में गिरावट देखने को मिली। मिडकैप शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2020 में मिडकैप फंडों में सिर्फ 500 करोड़ रुपये का निवेश आया था। इसके मुकाबले इन फंडों में सिर्फ जुलाई 2024 में 1,600 करोड़ रुपये का निवेश आया।