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इन शेयरों को खरीदने को कोई तैयार नहीं, 3 दिन से नहीं मिल रहा खरीदार, ₹2 तक गिरा भाव, आपका है दांव?

 

Anil Ambani Company Share: उद्योगपति अनिल अंबानी की अगुवाई वाली समूह कंपनियों रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड, रिलायंस पावर और रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर सोमवार के बाद आज मंगलवार को भी लोअर सर्किट में पहुंच गए। रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के शेयर 5% के लोअर सर्किट के साथ आज 4.03 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं। वहीं, रिलायंस पावर के शेयर 5% लोअर सर्किट के साथ 31.10 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं। वहीं, रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर में आज ट्रेडिंग बंद है। इससे पहले सोमवार को यह शेयर 5% से अधिक टूटकर 2.32 रुपये पर बंद हुए थे। बता दें कि अनिल अंबानी की कंपनी के शेयरों में बीते शुक्रवार से लगातार लोअर सर्किट लग रहा है। बता दें कि मार्केट रेगुलेटरी सेबी ने उद्योगपति अनिल अंबानी और 24 अन्य को रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से फंड के हेर-फेर के आरोप में पांच साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित करने के बाद से इन कंपनियों के शेयर में गिरावट जारी है।

क्या है डिटेल

सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अंबानी को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार नियामक के साथ पंजीकृत किसी भी इकाई में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) लेने से भी पांच साल के लिए रोक लगा दी है। इसके अलावा 24 इकाइयों पर 21 करोड़ रुपये से लेकर 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही नियामक ने रिलायंस होम फाइनेंस को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है और उस पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सेबी ने बीते शुक्रवार को अपने 222 पेज के आदेश में कंपनी के प्रबंधन तथा प्रवर्तक के लापरवाह रवैये का जिक्र किया, जिसके तहत उन्होंने ऐसी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जिनके पास न तो परिसंपत्तियां थीं, न ही नकदी प्रवाह, ‘नेटवर्थ’ या राजस्व था। आदेश के अनुसार, इससे पता चलता है कि ‘कर्ज’ के पीछे कोई खतरनाक मकसद छिपा था। सेबी ने कहा कि स्थिति तब और भी संदिग्ध हो गई जब हम इस बात पर गौर करते हैं कि इनमें से कई कर्जदार आरएचएफएल के प्रवर्तकों से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं।

नियामक के अनुसार, आखिरकार इनमें से अधिकतर कर्ज लेने वाले उसका भुगतान करने में विफल रहे, जिसके कारण आरएचएफएल को अपने स्वयं के ऋण दायित्वों पर चूक करनी पड़ी। इस कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ढांचे के तहत कंपनी का समाधान हुआ, जिससे इसके सार्वजनिक शेयरधारक मुश्किल स्थिति में आ गए।

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