भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में सैमसंग (Samsung) का दबदबा फीका होता जा रहा है। चीन की दिग्गज कंपनियों शाओमी (Xiaomi) और वीवो (Vivo) से दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग से कड़ी टक्कर मिल रही है। पिछले साल ही सैमसंग घरेलू मॉर्कट में लीडर थी लेकिन अब जून तिमाही के नतीजे से खुलासा हुआ कि इसका मार्केट शेयर दस साल के निचले स्तर पर आ गया है। इसके वॉल्यूम में गिरावट आई और वैल्यू मार्केट शेयर में भी कमी आई। 10 हजार रुपये से सस्ते हैंडसेट मार्केट में इसकी मौजूदगी फीकी पड़ी है और प्रीमियम सेगमेंट में कॉम्पटीशन बढ़ा है। पहले प्रीमियम सेगमेंट में सैमसंग का दबदबा था, जबकि सस्ते फोन के मामले में शाओमी और वीवो का दबदबा था।
कितना घटा सैमसंग का दबदबा?
दिसंबर 2022 में शाओमी को पछाड़ने के बाद सैमसंग पिछले साल 2023 में देश के स्मार्टफोन मार्केट में टॉप पर बनी रही। हालांकि मार्केट रिसर्च फर्मों आईडीसी, काउंटरपाइंट और कैनलिस के मुताबिक वॉल्यूम के हिसाब से जून तिमाही में सैमसंग की मार्केट में हिस्सेदारी घटकर तीसरे स्थान पर आ गई। सैमसंग स्मार्टफोन शिपमेंट लगातार तीसरी तिमाही कम हुई और जून तिमाही में यह 15.4 फीसदी घट गई और इसकी मार्केट हिस्सेदारी 12.9 फीसदी रह गई। आईडीसी के आंकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में इसका मार्केट शेयर सालाना आधार पर 21 फीसदी से और तिमाही आधार पर 23 फीसदी से गिरकर 16 फीसदी पर आ गया।
क्यों घट रहा Samsung का दबदबा?
एनालिस्ट्स के मुताबिक ब्रांड के फीकेपन, इन्वेंट्री से जुड़े मुद्दे, चाइनीज ब्रांडों से कड़ा कॉम्पटीशन और ऑफलाइन रिटेलर्स से जुड़ी चुनौतियों के चलते सैमसंग को झटका लगा। ऑफलाइन रिटलेर्स के साथ सैमसंग के संबंध इस मामले में खराब हुए कि कंपनी ने ऑनलाइन सेगमेंट के लिए कीमतें कम रखी हैं जिससे ऑफलाइन रिटेलर्स परेशान हैं। वीवो और शाओमी भी प्रीमियम हैंडसेट मार्केट में दखल बढ़ा रही है जिससे सैमसंग को नुकसान हो रहा है। अभी तक प्रीमियम सेगमेंट में सैमसंग और एपल का दबदबा रहा है।
वैश्विक मार्केट इंटेलिजेंस फर्म आईडीसी के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट नवकेंदर सिंह का कहना है कि जून तिमाही में सैमसंग के गिरावट की मुख्य वजहों में से एक तो यह रहा कि अब इसके नए लो-मिड और मिड-रेंज सेगमेंट के स्मार्टफोन पहले की तुलना में महंगे हैं। इसके अलावा पुराने स्मार्टफोन का स्टॉक हटाने में उम्मीद से अधिक समय लग गया। मार्केट रिसर्च काउंटरप्वाइंट के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक का कहना है कि सैमसंग ने 10 हजार रुपये से सस्ते स्मार्टफोन के सेगमेंट में इसके मॉडल कम हैं तो कंपनी की ओवरऑल बिक्री पर असर पड़ा। तरुण के मुताबिक इस सेगमेंट में सैमसंग के पोर्टफोलियो की हिस्सेदारी सिर्फ 6 फीसदी रही जबकि शाओमी की हिस्सेदारी 18 फीसदी रही। इसके अलावा 30 हजार रुपये तक के सेगमेंट में सैमसंग के एम और एफ सीरीज की भी बिक्री उम्मीद के मुताबिक नहीं रही।
इसके अलावा ग्राहकों का जोर CMF (कलर, मैटेरियल और फिनिश) पर बढ़ रहा है और बजट-फ्रेंडली मॉडल में सैमसंग यहां चूक गई जबकि चाइनीज कंपनियों ने इसी का फायदा उठाया। सैमसंग के मार्केट शेयर में गिरावट की एक वजह ये भी रहा कि इसके रिटेल, मार्केटिंग और बिजनेस डेवलपमेंट के 30 सीनियर एग्जेक्यूटिव्स कंपनी छोड़कर शाओमी में चले गए। सैमसंग को ऑनलाइन और बड़े स्टोर्स में कीमतों में फर्क, चाइनीज स्मार्टफोन कंपनियों की तुलना में कम मार्जिन और पॉपुलर मॉडल्स के स्टॉक की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता ने भी सैमसंग का मार्केट खराब किया।
आगे स्थिति और खराब होने के आसार
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन (AIMRA) के फाउंडर और चेयरमैन कैलाश लखयानी का कहना है कि कंपनी के साथ मार्जिन, ऑनलाइन-ऑफलाइन मार्केट में कीमतों में फर्क और ऑफर को लेकर लगातार बातचीत की गई लेकिन इन पर बात नहीं बन पाई। उन्होंने कहा कि कंपनी ने इन मामलों को लेकर कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। उन्होंने आगे कहा कि आमतौर पर ग्राहक स्टोर्स पर अपने हाथ में स्मार्टफोन लेकर इसका अनुभव लेने के बाद इसे खरीदना पसंद करते हैं लेकिन सैमसंग के रवैये के चलते रिटेल मार्केट में इसकी हिस्सेदारी घटकर 14 फीसदी पर आ गई और अगर कंपनी का यही रवैया जारी रहा तो यह 10 फीसदी के नीचे आ जाएगी। उनका मानना है कि इसकी तुलना में तो ओप्पो और वीवो बेहतर मार्जिन दे रहे हैं।