सायंट ने अपनी सब्सिडयरी सायंट डीएलम में 14.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया है। ब्लॉक डील से होने वाले इस ट्रांजेक्शन से सायंट को 860 करोड़ रुपये मिलेंगे। इस खबर का असर दोनों कंपनियों के शेयरों पर देखने को मिला। 22 अगस्त को सायंट डीएलएम का शेयर 1.6 फीसदी गिर गया, जबकि सायंट के शेयरों में 4 फीसदी की तेजी दिखी। इंडिया में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज सेक्टर में सायंट डीएलएम की स्थिति मजबूत है। कंपनी का फोकस बड़े क्लाइंट्स पर रहता है। अर्निंग्स ग्रोथ और वैल्यूएशन के बीच अच्छा फर्क है।
टैक्स बाद मुनाफा 1.8 फीसदी बढ़ा
पिछले तीन साल में Cyient DLM की रेवेन्यू ग्रोथ की CAGR 24 फीसदी रही है। इस दौरान टैक्स के बाद मुनाफा 1.8 गुना बढ़ा है। FY24 में रेवेन्यू ग्रोथ में एयरोस्पेस और डिफेंस सेगमेंट्स का बड़ा हाथ रहा। दोनों सेगमेंट में रेवेन्यू ग्रोथ साल दर साल आधार पर क्रमश: 68 फीसदी और 86 फीसदी रही। आउटसोर्स्ड ईएमएस बिजनेस में आम तौर पर क्लाइंट्स के साथ कॉस्ट-प्लस मार्जिन अरैंजमेंट होता है।
EMS सेक्टर की ग्रोथ 30% रहने की उम्मीद
इंडिया में EMS सेक्टर की सालाना ग्रोथ 30 फीसदी से ज्यादा रहने की उम्मीद है। यह उस ब्रैकेट के अंदर है जिसमें सायंट डीएलएम जैसी लो मार्जिन और हाई वॉल्यूम कंपनियां ऑपरेट करती हैं। अगले कुछ सालों में इसके तेज ग्रोथ करने की उम्मीद है। सायंट ने ओपन मार्केट में हिस्सेदारी बेचने की कुछ वजहें बताई हैं। इनमें इनऑर्गेनिक ग्रोथ, कर्ज में कमी और सेमीकंडक्टर बिजनेस में निवेश शामिल हैं।
कंपनी पर करीब 390 करोड़ का कर्ज
कंपनी पर करीब 390 करोड़ रुपये का कर्ज है। वह इंटरेस्ट पर आने वाले खर्च को घटाने के लिए अपना कुछ कर्ज कम कर सकती है। यह प्रॉफिट के लिहाज से अच्छा होगा। सायंट का रेवेन्यू और अर्निंग्स ग्रोथ FY25 में फ्लैट रहने की संभावना है। अगर FY26 में रिकवरी आती है तो भी करेंट वैल्यूएशन पर रिटर्न सामान्य रहने के संकेत हैं। बढ़ते EMS मार्केट में सायंट डीएलम का बिजनेस अट्रैक्टिव है। इसे बढ़ती घरेलू मांग और सरकार के सपोर्ट से मदद मिल रही है।
क्या आपको निवेश करना चाहिए?
इस स्टॉक में FY26 की अनुमानित अर्निंग्स के 44.4 गुना पीई पर ट्रेडिंग हो रही है, जबकि पीईजी रेशियो 0.88 है। यह अट्रैक्टिव दिख रहा है। इसलिए इसके शेयरों में खरीदारी की जा सकती है।