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जुलाई में Swiggy से तेज स्पीड से बढ़ी Zomato, इस कारोबारी मॉडल से मिला जोमैटो को फायदा

दिग्गज फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म गुरुग्राम की जोमैटो (Zomato) और बेंगलुरु की स्विगी (Swiggy) के बीच मार्केट में दबदबे को लेकर लगातार रस्साकसी चल रही है। ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के एनालिस्ट्स के मुताबिक पिछले महीने जुलाई में जोमैटो की आगे बढ़ने की रफ्तार स्विगी से काफी तेज रही है। सालाना आधार पर जुलाई में जोमैटो 29 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी जबकि स्विगी इससे आधे से भी कम 11 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी। मासिक आधार पर बात करें तो जोमैटो का ऑर्डर ग्रोथ 1.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा जबकि स्विगी की की रफ्तार 4.6 फीसदी कम हो गई। इसके चलते जोमैटो का मार्केट शेयर भी बढ़ गया।

नहीं रह गया उत्तर-दक्षिण का भेद!

मार्केट एनालिस्ट पहले मानते थे कि जोमैटो का दबदबा उत्तर भारत में है जबकि स्विगी का दक्षिण भारत में। हालांकि हाल ही में जून तिमाही के नतीजे जारी करने के बाद जोमैटो के एक अधिकारी ने एनालिस्ट्स से 1 अगस्त को कहा था कि अब नेशनल लेवल पर जोमैटो का जितना मार्केट शेयर है, दक्षिण भारत में यह उसके करीब पहुंच रहा है। अधिकारी के मुताबिक कुछ साल पहले दक्षिण भारत में जोमैटो के पास काफी कम मार्केट शेयर था। कुछ ब्रोकरेज फर्मों के कैलकुलेशन के मुताबिक देश के फूड डिलीवरी सेक्टर में जोमैटो की हिस्सेदारी बढ़कर 55 फीसदी पर पहुंच चुकी है जबकि स्विगी की हिस्सेदारी गिरकर 45 फीसदी पर आ गई है। मुनाफे की बात करें तो इस मामले में भी जोमैटो ने स्विग्गी को पछाड़ दिया है। जोमैटो को लगातार पांच तिमाहियों में नेट प्रॉफिट हुआ है जबकि स्विगी को FY24 के पहले नौ महीनों में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऑपरेशनल लॉस हुआ था।

लिस्टिंग के बाद तेजी से बढ़ा Zomato का दबदबा, Swiggy आई नीचे

भारत में फूड डिलीवरी मार्केट डुओपॉली है यानी कि यहां दो ही कंपनियों-जोमैटो और स्विगी का कब्जा है। करीब दो साल पहले स्विगी का 52 फीसदी मार्केट पर कब्जा था। हालांकि उसके बाद जोमैटो धीरे-धीरे आगे बढ़ी और लिस्टिंग के बाद से तो इसमें और तेजी आई। इसके शेयर घरेलू मार्केट में 23 जुलाई 2021 को लिस्ट हुए थे। अब स्विगी भी आईपीओ लाने की तैयारी में है। स्विगी का मार्केट शेयर अभी 45 फीसदी और जोमैटो का 55 फीसदी है। जोमैटो का दबदबा गैर-मेट्रो सिटी में पहले दांव लगाने के चलते बढ़ा। मुनाफे के लिहाज से यह स्ट्रैटेजी अच्छी नहीं मानी जा रही थी लेकिन लॉन्ग टर्म में इसने फायदा दिया।

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