मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 7 की वैल्यू बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 1,40,863.66 करोड़ रुपए (1.40 लाख करोड़ रुपए) बढ़ी है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS टॉप गेनर रही।
हफ्ते भर में कारोबार के दौरान टेक कंपनी का मार्केट कैप 67,477.33 करोड़ रुपए बढ़ा। अब कंपनी की वैल्यूएशन बढ़कर 15.98 लाख करोड़ रुपए हो गई है। इससे पहले कंपनी का मार्केट कैप 15.31 लाख करोड़ रुपए था।
TCS के अलावा इंफोसिस, भारती एयरटेल, ICICI बैंक, ITC लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और हिंदुस्तान यूनिलीवर ने भी हफ्ते भर कमाई की है।
LIC, HDFC और SBI की वैल्यू 71,497 करोड़ कम हुई
वहीं, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC), HDFC बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का मार्केट कैप इस दौरान कंबाइंड रूप से 71,493.9 करोड़ रुपए कम हुआ है।
LIC का मार्केट कैप 47,943.48 करोड़ कम होकर 6.69 लाख करोड़ रुपए रहा गया है। वहीं, HDFC बैंक और SBI की मार्केट वैल्यूएशन में इस दौरान 13,064 करोड़ और 10,486.42 करोड़ रुपए की गिरावट रही है।
इस हफ्ते 731 अंक चढ़ा बाजार
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन, यानी शुक्रवार (16 अगस्त) को सेंसेक्स 1,330 अंक यानी 1.68% की तेजी के साथ 80,436 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी करीब 400 अंक (1.65%) की तेजी रही और यह 24,541 के स्तर पर बंद हुआ।
बाजार सुबह 800 से ज्यादा अंकों की तेजी के साथ खुला था, हालांकि बाद में इसमें 200 अंकों की गिरावट देखने को मिली थी। फिर दोबारा से बाजार ऊपर आ गया। आईटी, ऑटो, मीडिया, रियल्टी और ऑयल एंड गैस शेयरों में खरीदारी हुई। हफ्तेभर के कारोबार में सेंसेक्स में टोटल 731 (1.57%) अंक की तेजी रही।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।