Hindustan Zinc: वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) चालू वित्त वर्ष में अपने शेयरधारकों को 8,000 करोड़ रुपये का विशेष लाभांश भुगतान करने की योजना बना रही है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एचजेडएल के निदेशक मंडल की मंगलवार को बैठक हो सकती है, जिसमें चालू वित्त वर्ष के लिए विशेष लाभांश भुगतान पर विचार और अनुमोदन किया जाएगा। बता दें कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के शेयर बुधवार को मामूली गिरावट के साथ 576 रुपये पर बंद हुए थे।
क्या है डिटेल
एक सूत्र ने कहा, “इसमें से लगभग 30 प्रतिशत या 2,400 करोड़ रुपये केंद्र को मिलेंगे, जो वित्त वर्ष के लिए उसके गैर-कर राजस्व में योगदान देगा।” यह कदम राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा 10,383 करोड़ रुपये के सामान्य रिजर्व को अपनी प्रतिधारित आय में स्थानांतरित करने की मंजूरी के बाद उठाया गया है।
यह विशेष लाभांश, एचजेडएल द्वारा हर साल दिए जाने वाले लगभग 6,000 करोड़ रुपये के नियमित लाभांश के अतिरिक्त होगा। सरकार के अलावा, इससे प्रवर्तक वेदांता लिमिटेड को भी लाभ होगा, जिसके पास एचजेडएल में लगभग 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है, और उसे लगभग 5,100 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे, जिसका उपयोग वह अपने बही-खाते को और बेहतर बनाने के लिए कर सकता है।
वेदांता को कर्ज चुकाने में मिलेगी मदद
इधर, वेदांता लिमिटेड के अपनी सब्सिडियरी कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) में 3.31 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने से उसके पास कर्ज चुकाने और पूंजीगत खर्च के लिए उपलब्ध धन में वृद्धि होगी। वित्तीय विश्लेषण कंपनी क्रेडिटसाइट्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि वेदांता लिमिटेड के निदेशक मंडल ने मंगलवार को अपनी जिंक अनुषंगी कंपनी में 2.6 प्रतिशत (11 करोड़ शेयर) हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी, जिसका मूल्य 6,370 करोड़ रुपये है। बुधवार को कंपनी ने हिस्सेदारी बढ़ाकर 3.31 प्रतिशत कर दी, जिससे अंतिम कारोबारी मूल्य पर 8,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हो सकते हैं। खुदरा और संस्थागत निवेशकों को बिक्री पेशकश (ओएफएस) के माध्यम से बिक्री से एचजेडएल में वेदांता की हिस्सेदारी 64.92 प्रतिशत से घटकर 61.61 प्रतिशत हो जाएगी।
क्रेडिटसाइट्स ने कहा, “हम एचजेडएल की हिस्सेदारी बिक्री को वेदांता लिमिटेड और (इसकी मूल कंपनी) वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के ऋणदाताओं और बांडधारकों के लिए सकारात्मक मानते हैं, क्योंकि ऋण चुकाने और पूंजीगत व्यय के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध होगी। ऋण में कमी आने से वीआरएल का पहले से बढ़ा हुआ ब्याज बोझ और कम हो जाएगा।” इसके साथ ही, हिस्सेदारी बिक्री से वेदांता को एचजेडएल से भविष्य में मिलने वाले लाभांश में भी कमी आएगी, जो कई वर्षों से समूह की नकदी का स्रोत रही है।