आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की 2019-20 की तीसरी किस्त के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की कीमत जारी कर दी है। इस किस्त के निवेशक 14 अगस्त, 2024 से एसजीबी की अपनी यूनिट्स भुना सकते हैं। एसजीबी का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है। लेकिन, पांच साल के बाद निवेशकों को अपनी यूनिट्स भुनाने की इजाजत है। आरबीआई ने इस सीरीज के रिडेम्प्शन के लिए प्रति यूनिट 7,000 रुपये कीमत तय की है।
निवेशकों को हर यूनिट पर 3501 रुपये मुनाफा
एसजीबी (SGB) की इस किस्त में निवेशकों ने प्रति यूनिट 3,499 रुपये की दर से निवेश किया था। इसका मतलब है कि उन्हें समय से पहले यूनिट भुनाने पर प्रति यूनिट 3,501 रुपये का प्रॉफिट होगा। यह 100.06 फीसदी से ज्यादा रिटर्न है। इस सीरीज के एसजीबी के निवेशकों का पैसा पांच साल में दोगुना हो गया है। रिडेम्प्शन से पहले की तीन तारीखों में 999 प्योरिटी गोल्ड के क्लोजिंग प्राइस के सिंपल एवरेज के आधार पर एसजीबी का रिडेम्प्शन प्राइस तय होता है
तीन दिनों की कीमत के औसत के आधर पर तय हुई यूनिट की कीमत
14 अगस्त, 2024 के लिए रिडेम्प्शन प्राइस तय करने के वास्ते गोल्ड की 9 अगस्त, 12 अगस्त और 13 अगस्त की कीमत को आधार बनाया गया है। इस सीरीज के निवेशक तय समय से पहले अपना पैसा निकालना चाहते हैं तो उन्हें संबंधित बैंक, एसएचसीआईएल ऑफिसेज, पोस्ट ऑफिस या एजेंट से कूपन पेमेंट डेट से तीन दिन पहले संपर्क करना होगा। रिडेम्प्शन का पैसा निवेशक के बैंक अकाउंट में आ जाता है।
एसजीबी की पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को आई थी
सरकार ने एसजीबी की पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को जारी की थी। तब से अब तक एसजीबी की 67 किस्ते जारी की जा चुकी हैं। आरबीआई सरकार की तरफ से एसजीबी की किस्त जारी करता है। मनीकंट्रोल के कैलकुलेशन के मुताबिक, अब तक 147 टन सोने के बराबर सरकार एसजीबी की यूनिट्स जारी कर चुकी है। इसकी वैल्यू करीब 72,274 करोड़ बैठती है। FY2023-24 में एसजीबी में निवेशकों ने कुल 27,031 करोड़ रुपये का निवेश किया।
इन वजहों से निवेशक एसजीबी में करते हैं निवेश
एसजीबी उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है, जो सोने में निवेश से मुनाफा तो कमाना चाहते हैं लेकिन फिजिकल गोल्ड में निवेश नहीं करना चाहते। फिजिकल गोल्ड में निवेश करने में कई तरह के मसले हैं। फिजिकल गोल्ड यानी गोल्ड ज्वेलरी या गोल्ड कॉइन की सुरक्षित रखना एक बड़ी मुश्किल है। दूसरा फिजिकल गोल्ड खरीदने में शुद्धता को लेकर संदेह बना रहता है। तीसरी, फिजिकल गोल्ड को बेचना भी आसान नहीं है।